म.द.स.विष्वविद्यालय, अजमेर में यूजीसी-एचआरडीसी के तत्वाधान में पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा पर्यावरण प्रभाव आंकलन पर दिनांक 13 से 18 फरवरी 2017 तक चले छः दिवसीय सघन प्रषिक्षण कार्यक्रम का दि. 18.02.17 शनिवार को सफल समापन हुआ।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. प्रवीण माथुर ने छः दिन चले सम्पूर्ण ट्रेनिंग प्रोग्राम की जानकारी दी। उन्होंने दिनांक 13.02.17 से 18.02.17 तक चले कार्यक्रम की सम्पूर्ण व विस्तृत रिपोर्ट पेष की। सभी विषेषज्ञों की मुख्य-मुख्य बातें उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ‘पावर पॉईन्ट‘ के माध्यम से फोटोग्राफ सहित बताई। सभी प्रतिभागियों का उन्होंने तहे दिल से शुक्रिया अदा किया। इस अवसर पर उन्होंने मुख्य अतिथि व विष्वविद्यालय कुलसचिव को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
कार्यक्रम के समापन समारोह में आई यूजीसी-एचआरडीसी निदेषक प्रो. गुलराज कलसी कोहली ने प्रतिभागियों से कार्यक्रम का फीड बैक लिया। उन्होंने बताया कि जो आपने सीखा उसको जिन्दगी में अपनाएं उन्होंने एचआरडीसी की ओर से चल रहे कार्यक्रमों की पूर्ण जानकारी दी और बताया कि एचआरडीसी की ओर से एक ओरिएंटेषन कार्यक्रम विष्वविद्यालय में चल रहा है एवं हाल में तीन शॉर्ट टर्म कोर्सेज करवाए जा चुके हैं। उन्होंने कार्यक्रम समन्वयक की प्रषंसा करते हुए कहा कि बहुत अच्छे विषय विषेषज्ञ बुलाकर सभी प्रतिभागियों को अच्छा अनुभव व प्रषिक्षण दिया गया। एचआरडीसी की ओर से सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र, पैन ड्राइव, फोल्डर व समारोह के फोटो वितरित किए गए।
प्रतिभागियों ने भी इस कार्यक्रम को बहुत अच्छा बताया और कहा कि सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को आम जनता व छात्रों तक पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जाएगा ताकि प्रकृति व संसाधनों को बचाया जा सके। सभी प्रतिभागियों ने निदेषक एचआरडीसी, संयोजक व पर्यावरण विज्ञान विभाग व विष्वविद्यालय की भूरी-भूरी प्रषंसा की व दोबारा आने की मंषा भी जताई।
मुख्य अतिथि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की डॉ. संचिता जिंदल ने पूर्ण कार्यक्रम को सराहा। उन्होंने निदेषक एचआरडीसी प्रो. गुलराज कलसी कोहली, संयोजक प्रो. प्रवीण माथुर, विभाग व विष्वविद्यालय का धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर पर्यावरण प्रभाव आंकलन करने पर बल दिया और कहा कि जरूरत है स्वयं में झांकने की। प्रकृति पर पड़े बुरे प्रभावों को रोकने के लिए मानव की स्वयं नैतिक मूल्यों को अपनाना होगा ताकि मानव जाति विनाष से बच सके। उन्होंने प्रतिभागियों से भी आह्वान किया कि कार्यक्रम के दौरान हासिल सम्पूर्ण ज्ञान व जानकारियों को मानव व दूसरे जीवों के लिए उपयोग में लें। अब समय आ गया है जब प्रकृति को हमें बचाना होगा, भारतीय मूल्यों को अपनाना होगा तब ही मानव कल्याण संभव है।
विष्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सतीष अग्रवाल ने कार्यक्रम को अति सुन्दर, व्यवस्थित व ज्ञानप्रद बताया। उन्होंने पर्यावरण से जुड़े कुछ नैतिक मूल्यों की भी चर्चा की। उन्होंने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रतीक चिन्ह (स्व्ळव्) में लिखा- ‘‘प्रकृति रक्षतिः, रक्षितः‘‘ को पुनः स्थापित करने की जरूरत बताया ताकि सम्पूर्ण जीव जगत का कल्याण हो सके। उन्होंने प्रकृति में छिपे अनुपम खजाने को दोबारा से संजोने की जरूरत बताया जैसे आयुर्वेद। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक व विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिभागी अलग-अलग क्षेत्रों के होने के बावजूद ‘‘प्रकृति को बचाना है‘‘ के मकसद से इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। अतः सभी का यह नैतिक दायित्व है कि प्रकृति से हो रही छेड-छाड़ को रोकें व ‘‘जीओ और जीने दो‘‘ के सिद्धान्त को पुनः प्रतिपादित करें ताकि मानव जाति का हित हो सके।
अंत में कार्यक्रम की संचालिका शुभ्रा सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।