बीकानेर 18 फरवरी । एनआरसीसी ऊँट पर अनुसंधान करने वाला विष्व का एक उत्कृष्ट संस्थान है इससे वैष्विक स्तर पर काफी रूझान बढ़ा है। ऊँटनी के दूध पर महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्य हो रहे है परंतु उष्ट्र प्रजाति को पूर्णतया दूधारू स्वरूप में स्थापित करने हेतु इसकी उत्पादकता बढ़ाने के तीव्र प्रयास करने होंगे, क्योंकि उत्पादकता बढ़ाने से ही पशुपालक इससे जुड़ाव रखेगा। ये विचार आज एनआरसीसी में श्री राधामोहन सिंह केन्द्रीय मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ने अपने दौरे के दौरान अपने अभिभाषण में व्यक्त किए। एनआरसीसी निदेषक डाॅ.एन.वी.पाटिल द्वारा मंत्री श्री सिंह के समक्ष प्रस्तुत संस्थान कीे अनुसंधान उपलब्धियों की उन्होंने भूरि-भूरि प्रषंसा की। उन्होंने वैज्ञानिकों,अधिकारियों एवं कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें बेहतर वातावरण में अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कार्मिकों को कार्य में पारदर्षिता लाने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर उन्होंने केन्द्र के उष्ट्र संग्रहालय, सोविनियर शाॅप, उष्ट्र बाड़ों, आदि का भ्रमण भी किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त एवं कम्पनी मामलात राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, ने एनआरसीसी की गतिविधियों तथा अनुसंधान पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एनआरसीसी ऊंटों पर और अधिक बेहतर अनुसंधान करने हेतु प्रोजेक्ट तैयार करें, जिससे ऊँट पालकों की कमाई में वृद्धि हो। उन्होंने अनुसंधान कार्याें में पर्याप्त धनराषि के लिए भी निदेषक डाॅ.पाटिल को आष्वस्त किया।
इस अवसर पर केन्द्र निदेषक डाॅ.एन.वी.पाटिल ने संस्थान की गतिविधियों एवं महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाष डालते हुए मंत्री को अवगत करवाया कि यह केन्द्र ऊँटों की घटती संख्या एवं सीमित उपयोगिता को देखते हुए इसे दूधारू पशु के रूप में स्थापित करने हेतु अथक प्रयत्न कर रहा है तथा केन्द्र को इसके सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं। हाल ही में एफएसएसएआई द्वारा ऊँटनी के दूध को खाद्य पदार्थ के रूप में मिली मान्यता से महत्वपूर्ण बदलाव आने की संभावना है। इसका दूध आॅटिज्म, मधुमेह, टी.बी.आदि में उपयोगी पाया गया है जिससे मानव रोगों के निदान में इस दूध का महत्व बढ़ा है। केन्द्र उष्ट्र व इससे जुड़े लोगों के हितार्थ, ऊँट पालकों को समूह में आकर दुग्ध व्यवसाय हेतु प्रेरित कर रहा है ताकि ऊँटों की उपयोगिता बनी रहे व पालकों की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके।