मंच के मिडिया प्रभारी मुजफ्फर भारती ने बताया कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर 2007 को हुए बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हिंदूवादी संगठनों के 13 लोग इस मामले में आरोपी थे स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वासनानी, लोकेश शर्मा, हर्षद भारत, मोहन रातिश्वर, संदीप डांगे, रामचंद कलसारा, भवेश पटेल, सुरेश नायर और मेहुल इस ब्लास्ट केस में आरोपी हैं. एक आरोपी सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है वहीं आरोपियों में से संदीप डांगे और रामचंद कलसारा पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। मामले मे मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद का बरी हो जान अभियोजन की विफलता साबित करता है।
उन्होने आरोप लगाते हुऐ कहा कि इस मामले में अभियोजन ने की ओैर से 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे लेकिन अभियोजन की और से की गई कमजौर पैरवी के कारण अदालत में गवाही के दौरान 26 अहम गवाह अपने बयान से मुकर गए। अदालत मे अपनी गवाही पलटने वाले रणधीर सिंह हैं जिन्होंने एनआईए को बयान दिया था कि इन्होंने संघ के जुड़े दो लोगों को बम ले जाते देखा था। इसके बाद रणधीर सिंह ने झारखंड से चुनाव लड़ा और विधायक बन गए झारखंड चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो सरकार बनाने के लिए रणधीर सिंह को शामिल कर मंत्री बना दिया मंत्री बनते ही रणधीर सिंह 6 मई 2015 को कोर्ट में अपने दिए बयान से मुकर गए यह अभियोजन की विफलता नही ंतो और क्या है।
उन्होने कहा कि सरकार व अभियोन ने गवाहों को उचित सुरक्षा नहीं दी जिस कारण अदालत में गवाही के दौरान 26 अहम गवाह अपने बयान से मुकर गए और आरोपियों को इसका फायदा मिला जिसके लिये अभियोजन जिम्मेदार हैं।
