बाड़मेरः-विष्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर कमठा मजदूर यूनियन बाड़मेर के अध्यक्ष लक्ष्मण बडेरा ने केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान व राजस्थान की मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे व राजस्थान के खाद्य मंत्री बाबूलाल वर्मा को पत्र लिखकर अवगत कराया कि भोजन का अधिकार कानून में घरेलू श्रमिकों को सरकारी राषन सस्ती दर देने हेतु निर्देष दिये थे जिसे राजस्थान सरकार ने भी षामिल किया है। और घरेलू श्रमिको की पहचान व पुष्टि करने के लिये सरकार ने पुलिस थानो के थानेदार को जिम्मेदारी सौंप दी पुलिस थानों के थानेदारों के पास घरेलू श्रमिकों की सूचि नहीं होने के कारण राज्य में लाखों घरेलू श्रमिक भोजन के अधिकार से वंचित हो गये।
मजदूर नेता लक्ष्मण बडेरा ने कहा भारत सरकार ने अंसगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 बनाया जिसमें राजस्थान सरकार ने 2011 में राज्य नियम बनाकर लागू किया जिसमें घरेलू श्रमिक की परिभाषा दि कि घरेलू श्रमिक का अर्थ घर पर काम करने वाला श्रमिक होमबेस्ट वर्कर जैसे दर्जी, मोची, बुनकर, हथकरघा, सलमा, सितारा, सुपारी काटना, पापड़ बनाना, बड़ीया बनाना, चूड़ीया पर मोती लगाना, सुथारी कार्य , लोहारी कार्य, हैण्डीक्राफट, खिलौने बनाने वाले, नाई, धोबी, प्रिन्टिग का कार्य करने वाले, भड़भूजे, प्रिन्टिग प्रेस पर कार्य करने वालो के अलावा हाथठेला मजदूर पंजीकृत कमठा मजदूर, गैर सरकारी सफाई कर्मचारी घुमन्तु व अर्द्धघुमन्तु जातियों के अलावा भेड़पालकों को भी भोजन के अधिकार 2013 का लाभ नहीं मिल रहा है।
मजदूर नेता लक्ष्मण बेडरा ने भारत सरकार व राजस्थान सरकार से मांग कि है। कि एक तरफ सरकार बड़े-बड़े विज्ञापन देकर करोड़ो रुपया खर्च कर उपभोक्ताओं को जागरुक करती रही है दूसरी तरफ सरकार कानूनी पात्र परिवार घरेलू श्रमिकों को वंचित करने के नगर पालिका और ग्रामपंचायत के स्थान पर पुलिस थानों से प्रमाणित करने का गलत नियम बना ड़ाला जिससे लाखों घरेलू श्रमिक सरकारी खाद्य सुरक्षा से वंचित हो गये।
मजदूर नेता बडेरा ने आरोप लगाया कि सरकार अपने कर्मचारियों का पूरा ख्याल रखती है। तथा दूसरी तरफ मजदूरों की पूरी तरह अनदेखी करती है बडेरा ने बताया कि जब-जब मंहगाई बढ़ती है। तब सरकार अपने कर्मचारियों का भत्ता बढ़ाकर हर तरह की सुविधा देकर खुष करती है मगर दूसरी तरफ बेचारे मजदूरों का कोई सुनने वाला नहीं इसलिये मजदूरों की हालात् दयनीय होती जा रही है।
मजदूर नेता ने कहा कि सरकार ने कानून की अनदेखी कर लाखों घरेलू श्रमिको को राषन के गेहुँ से वंचित कर दिया बडेरा ने कहा कि जरूरतमन्द को अनाज उपलब्ध कराने के उद्देष्य से कानून बनाया परन्तु घरेलू श्रमिक को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
