शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन ने बयान जारी कर कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए नए प्रयोग बहुत जरूरी हैं। आरटीई एक्ट के तहत इसी दिशा में पहल की गई है। नियम है कि निजी स्कूलों में 25 फीसदी तक सीटें गरीब और कमजोर तबकों के बच्चों से भरी जाएंगी।
जैन ने षिक्षा जैसी मूलभूत जरूरत पर सरकार पर नाकारात्मकता का आरोप लगाते हुऐ कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में होने वाले निशुल्क प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। प्रवेश के प्रावधानों में बदलाव की तैयारी के चलते यह मामला अटका हुआ और शिक्षा विभाग प्रवेश का टाइमफ्रेम तय नहीं कर पाया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों में 1 अप्रैल से नया सत्र शुरू होने वाला है, ऐसे में प्रदेश के करीब 2 लाख तथा अजमेर शहर में 60 हजार अभिभावक परेशान है। प्रवेश के मामले में पिछले साल भी सरकार ने इसी प्रकार की देरी की थी।
उन्होने कहा कि एक्ट लागू होने के बाद निजी स्कूलों की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि अपनी 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों से भरें। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो प्रशासन को दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देना होगा। इसमें गड़बडी़ करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्ती करनी होगी। उन्होने कहा कि नियमानुसार निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 60 हजार से ज्यादा सीटें हैं, लेकिन पिछले सालों मे छह हजार बच्चों को भी दाखिला नहीं मिला है। यानी, निर्धारित सीटों का 10 फीसदी हिस्सा भी गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार और षिक्षा विभाग समय पर निर्णय नहीं ले रहे और निजी स्कूलों को फायदा देने की तैयारी की जा रही है। सरकार को जल्दी से टाइम फ्रेम जारी कर आरटीई प्रवेश प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
उन्होने कहा कि राज्य सरकार का षिक्षा विभाग निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पूरी तरह से उल्लंघन कर रही है। जरूरतमंद व दुर्बल वर्ग के लिए जिस मंशा से इस अधिनियम को बनाया गया था, उसे तोड़मोड़ कर नए नियम बनाने में लगी है। सरकार की ऐसी मंशा से साफ पता चलता है कि सरकार नहीं चाहती कि जरूरतमंद व दुर्लब वर्ग के बच्चों को निःशुल्क गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। शिक्षा के अधिकार के तहत तमाम तरह के प्राइवेट स्कूलों के लिए इस बात की अनिवार्यता है कि वह 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला दे।
