बीकानेर,23 मार्च। विश्व टी.बी. दिवस पर शुक्रवार को जिला क्षय रोग निवारण केन्द्र व पी.बी.एम.अस्पताल के टी.बी. एवं श्वसन रोग विभाग तथा राजस्थान मेडिकल काउंसिल के संयुक्त तत्वावधान में रैली निकाली जाएगी तथा संगोष्ठी आयोजित की जाएगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.सी.एस.मोदी व पी.बी.एम. अस्पताल के टी.बी.एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.गुंजन सोनी ने बताया कि नर्सिंग छात्र-छात्राओं की रैली सुबह साढ़े नौ बजे कलक्टे्रट कार्यालय से रवाना होकर विभिन्न मागार्ें से होते हुए मेडिकल कॉलेज मार्ग पर स्थित जिला क्षय निवारण केन्द्र पहुंचेगी। दोपहर को एक बजे आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल प्रेक्षागृह में संगोष्ठी होगी। संगोष्ठी में विशेषज्ञ चिकित्सक विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम ’’टीबी.को समाप्त करने के लिए एकजुट रहे ’ विषय के साथ इस बीमारी को रोकने की बेहतर चिकित्सा के बारे में जानकारी देंगे। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर भी रैली का आयोजन किया जाएगा।
डॉ.सोनी व डॉ.मोदी ने बताया कि विश्व में होने वाली मौतों में प्रमुख दस कारणों में टीबी प्रमुख कारण है। विश्व में 2 अरब से अधिक लोग टीबी से संक्रमित है तथा प्रति वर्ष 96 लाख नये रोगी टी.बी. से ग्रसित होते हैं, जिनमें लगभग 20 लाख रोगी भारत में होते हैं, यह संख्या विश्व में पाए जाने वाले रोगियों का 23 प्रतिशत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में प्रति वर्ष 176 रोगी, प्रति लाख जनसंख्या पर नए पाए जाते है, जबकि भारत में 167 रोगी, प्रति लाख जन संख्या पर नये होते है। भारत में 6 हजार लोग प्रतिदिन टीबी से ग्रसित होते हे एवं 600 रोगी प्रतिदिन टीबी की बीमारी से मरते है, अर्थात प्रति पांच मिनट में 2 रोगी टी.बी. की बीमारी से मर रहे है।
डॉ.सोनी ने बताया कि रॉबर्ट कोच ने पहली बार 1882 में ट्यूबरकुलोसिस की खोज की गई । बर्लिन के विश्व विद्यालय ऑफ हाइजीन के वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक संक्रामक रोग के बारे में सार्वजनिक रूप से घोषणा की गई थी । कई सूक्ष्मदर्शी स्लाइड की प्रस्तुति के माध्यम से तपेदिक के एटियोलॉजी के बारे में विस्तार से बताया। बर्लिन में अपनी घोषणा के दौरान यह रोग यूरोप और अमेरिका में बहुत तेजी से फैल रहा था, जिसमें से मृत्यु अनुपात सात में से एक था। तपेदिक के बारे में उनकी खोज ने लोगों के सामने तपेदिक का निदान का नया आयाम स्थापित किया।
रॉबर्ट कोंच की टीबी.प्रस्तुति की 100 वीं वर्ष गांठ पर ’’टीबी और फेफड़े के रोग (आई.यू.ए.टी.एल) के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय संघ ने 24 मार्च को एक वार्षिक अधिकारिक कार्यक्रम में मनाए जाने की योजना बनाई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन और नीदरलैंड टीबी फांउडेशन ने 1995 में पहला टी.बी. दिवस समारोह आयोजित किया । समारोह में प्रति वर्ष मनाए जाने की घोषणा की। वर्ष 1996 में विश्व स्वास्थ्य संगठन, आई.यू.ए.टी.एल.डी. और के.एन.सी.वी.जैसे विभिन्न संगठनों ने विश्व टी.बी. दिवस समारोह मनाना शुरू कर दिया। डॉट्स को 1997 में बर्लिन की न्यूज कॉन्फ्रेंस में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तपेदिक यानि क्षय रोग के खिलाफ सबसे बड़ा कदम घोषित किया गया था। इस महामारी की बीमारी की वैश्विक स्थिति के मुताबिक वास्तव में काम करने वाली स्वास्थ्य सफलता अंत्यन्त आवश्यक थी जिससे टी.बी. नियंत्रण हो सके। विश्व में 1998 के विश्व टी.बी.दिवस पर जागरूकता गतिविधियों को पूरा करने के लिए लगभग 200 संगठनों को शामिल किया गया था जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लंदन में टी.बी.वाले 22 सबसे प्रभावित देशों की घोषणा की गई। आम जनता द्वारा इस रोग की रोकथाम और इलाज के बारे में जागरूकता रखने के लिए अनेक संगठनों ने कार्य करना शुरू किया।
डॉ.सोनी ने बताया कि भारत सरकार ने 2025 तक टीबी उन्मूलन करने लक्ष्य तैयार किया है। जिसके तहत नई योजना तैयार की गई है, जिसमें प्रति वर्ष नये रोगियों की संख्या को कम व टी.बी.से होने वाली मृत्यु दर को करना शामिल है।
निःशुल्क इलाज की सुविधा-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.देवेन्द्र चौधरी ने बताया कि टी.बी. का इलाज पूर्णतया मुफ्त है। डॉट्स प्रणाली के इलाज को नियमित लेने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। टीबी एवं श्वसन रोग विभाग, जिला क्षय निवारण केन्द्र के साथ जिले की प्रायः सभी अस्पतालों में टी.बी.की दवा निःशुल्क दी जा रही है। चौधरी ने बताया कि वर्तमान में जिले में विभिन्न अस्पतालों के माध्यम से 2700 लोगों का इलाज डॉट प्रणाली के माध्यम से किया रहा है।