मेनार। जहां एक और सरकार प्राकृतिक संसाधनों एवं पौराणिक अवशेषों को संजोने के लिए प्रयासरत है वही कई प्रशासन की उदासीनता के चलते हैं ऐसी ही धरोहर खुर्द-बुर्द होने की कगार पर है साथ ही आमजन एवं राहगीरों पर खतरा बन कर भी मंडरा रही है। ऐसा ही मामला सामने आया है भिंडर पंचायत समिति के बामणिया गांव का जहां पर लगभग 300 साल पुरानी बनी हुई बावड़ी एवं कलाकृति पत्थरों से जुड़ा कर बना हुआ द्वारा समय के साथ जीवन सूना हो रहा है साथ ही राहगीरों के लिए चोटिल होने का भी खतरा मंडरा रहा है
ग्रामीणों के चेहरे पर दिखी चिंता की लकीरें— गांव में मुख्य द्वार एवं हनुमान मंदिर के पास में बनी हुई बावड़ी की जीवनी क्षण स्थिति को देखकर के ग्रामीणों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छाई हुई है साथ ही मुख्य द्वार जीवन शुरु होने की वजह से एवं उनके ऊपर रखे हुए पत्थर कभी भी गिर सकते हैं ऐसी स्थिति को लेकर के ग्रामीण काफी चिंतनीय है साथ ही उसी रास्ते से स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए भी हमेशा खतरा बना हुआ है इस संबंध में नवज्योति को बताया कि पंचायत प्रशासन एवं पंचायत समिति के अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है जिसके चलते बहन बेटी की अमानत के रूप में मिली धरोहर खंडित होने जैसी स्थिति बन गई है
गांव को मिल सकती है अलग पहचान— ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कई धरोहर है जो जीवन सिंह जैसी स्थिति बनी हुए हैं अगर इस बामणिया गांव के इस मुख्य द्वार को रिपेयर किया जाए तो जर्जर स्थिति से दूर हो सकता है एवं गांव के लिए यह एक नया द्वार साबित हो सकता है । साथ ही बावड़ी की साफ-सफाई एवं रखरखाव कर लिया जाए तो यह गर्मी के दिनों में पेयजल सप्लाई के रूप में भी अच्छी साबित हो सकती है जिससे बामनिया गांव में जलापूर्ति सही हो जाए।
यह है इतिहास –गांव के ही उदय लाल पालीवाल एवं बाबूलाल पालीवाल ने बताया कि इस बावड़ी एवं मुख्य द्वार के पीछे 300 साल पुराना लगभग इतिहास है यह मान्यता है कि लगभग 300 साल पहले पालीवाल समाज की एक बहन बेटी की सगाई जयपुर में हुई थी उसने जयपुर ससुराल वालों से शादी करने की एक ही शर्त रखी कि अगर जयपुर से आप शादी करने के लिए आए हैं तो मैं एक ही शर्त पर शादी करूंगी कि आप मेरे लिए इस गांव में बावड़ी खुद जाकर उसका अच्छे से निर्माण करवाएं एवं साथ ही आपके यहां के लिए तोरण द्वार का निर्माण आपके ही द्वारा किया जाए। यह शर्त मानते हुए जयपुर से बारात आने से पहले पालीवाल समाज की ड्यूटी की बात मानते हुए इन दोनों धरोहरों का निर्माण किया गया। मुख्यतः यहां के पालीवाल समाज अपनी बहन बेटी की धरोहर के रूप में मिली अमानत खुर्दबुर्द योग होते हुए देखकर काफी चिंतनीय महसूस कर रहे हैं उन्होंने प्रशासन से शीघ्र ही इसे दुरुस्त कराने की मांग की है।
कैप्शन– मेनार।
अमानत में मिली बावड़ी एवं मुख्य द्वार खंडित होने पर आप बीती सुनाते ग्रामीण।
2 खंडित हुई बावड़ी एवं मुख्य द्वार।
फोटो संजय मेघवाल मेनार
इनका कहना है– ” हां मामला मेरी जानकारी में आया है मैं खुद इस बात को मानता हूं कि यह धरोहर समय के साथ में जीर्ण शीर्ण हो रही है। इसके लिए मैं पंचायत से प्रस्ताव लेकर के आगे की कार्यवाही के लिए भेजता हूं । “——मुकेश कुमार खींची, सरपंच, ग्राम पंचायत बॉसड़ा।