अधभर गगरी छलकत जाय

sohanpal singh
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आज एक साथ तीन ख़बरें पढ़ने को मिली, जिसको पढ़ कर ऐसा लगता है की आरएसएस और बीजेपी देश की सत्ता को सँभालने में कुछ जल्दी करदी है ?क्योंकि परिपक्वता और गंगभीरता का आभाव देखने मिलता हाँ अधीरता सब और दिखाई देती है ? इस बात का आभाष तो बीजेपी के थिंक टेंक पहले ही देश को दे चुके है. लेकिन हम जिस बात की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहते है वे ये है की पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर परिकर साहेब का एक बयान आया है झिसमे वह कहते कि मुझ पर बहुत दबाव था कश्मीर मामले का और मुझे जैसे ही मौका मिला मैं गोवा वापस आ गया , क्या यह भारत जैसे विशाल देश के किसी रक्षा मंत्री का बयान हो सकता है , दूसरा बयान श्रीमान वेंकैया नायडू का है जिसमे वह कहते हैं की जाती के आधार पर आरक्षण से बन सकता है एक और पाकिस्तान/ शायद वह यह भूल जाते हैं की भारत में रहना है तो वनडे मातरम कहना होगा , इस कथन से भी समाज बाटता है और विभाजन की और संकेत करता हैअब तीसरा बड़ा ब्यान वित्त मंत्रालय का है जो यह कहता है की उसने ६० हजार खतों का चयन किया है जिसमे नोट बं दी के समय कला धन जमा किया गया था , अब इन अक्ल अन्धो से कौन पूंछे की सुचना आपके पास है सरकार आपकी है काले धन वाले ६० हजार हों या ६० लाख हों उनसे काला धन जब्त किया जाय और वायदे के मुताबिक जनता में बांटा जय कौन रोकता है आपको / लेकिन ब्यान जरुरी है कुछ करो या न करो ढोल पीटते रहो /
एस पी सिंह , मेरठ

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