वीडियो एलबम ‘ना परना मुझे छोटी उमर में’ का विमोचन

सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए करने होंगे सामूहिक प्रयास-प्रो. छींपा

album-1बीकानेर, 28 अप्रैल 17। गायत्री प्रोडक्शंस के बैनर तले निर्मित वीडियो एलबम ‘ना परना मुझे छोटी उमर में’ का विमोचन गुरूवार को सर्किट हाउस में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. छींपा और भारत स्काउट एवं गाइड की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विमला मेघवाल ने किया।

इस अवसर पर डॉ. छींपा ने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में जागृति के लिए वीडियो जैसे माध्यम अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि आखातीज और पीपल पूर्णिमा के दौरान बाल विवाह की अधिक संभावना रहती है। बाल विवाह एक ऎसी सामाजिक कुरीति है, जो बच्चों से उनका भविष्य छीन लेती है। उन्होंने वीडियो फिल्म में कार्य करने वाले कलाकारों को बधाई दी तथा कहा कि ऎसे सकारात्मक प्रयास समय-समय पर होने चाहिए।

भारत स्काउट एवं गाइड की उपाध्यक्ष डॉ. मेघवाल ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए शिक्षा का स्तर बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने का पक्ष लिया तथा ग्रामीण क्षेत्रें में सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम के प्रति जनजागृति के लिए सतत प्रयास करने को कहा। गायतर््ी प्रोडक्शंस के विक्रम पुरोहित ने कहा कि वीडियो के माध्यम से बाल विवाह की रोकथाम के साथ-साथ बालिका शिक्षा का संदेश दिया गया है। एलबम निर्देशक जयश्री पारीक ने आगंतुकों का आभार जताया। इस अवसर पर सभी कलाकारों का सम्मान किया गया।

बेटियों की है महत्त्वपूर्ण भूमिका

‘ना परना मुझे छोटी उमर में’ का गीत हरि शंकर आचार्य ने लिखा है। रिद्धिका आचार्य ने इसे अपनी आवाज दी है। फिल्म में बेटी की भूमिका ग्यारह वर्षीय बार्बी पारीक तथा मां का किरदार चित्र खतर््ी ने निभाया है। वहीं रंगकर्मी सुनील पुरोहित, जितेन्द्र पारीक और पं. गोविंद जोशी ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मधुर व्यास ने वीडियो एडिटिंग तथा संपादन किया है। एलबम का फिल्मांकन करमीसर तथा आसपास के क्षेत्रें में किया गया है। गायतर््ी प्रोडक्शंस के सुमित पुरोहित ने बताया कि वीडियो एलबम को यू-ट्यूब पर ‘हरि कहे सो खरी’ चैनल पर देखा जा सकेगा।

इस अवसर पर मधुसूदन व्यास, रंगीला फाउण्डेशन के अनिरूद्ध आचार्य, पुनीत ढाल आदि मौजूद थे।

मोहन थानवी

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