सांझी विरासत ने अर्पित किया व्यास युगल को सम्मान

व्यास-युगल की साहित्यिक साधना अद्वितीय और अनूठी है

1494155403273बीकानेर 07 मई 2017। सुदीर्घ एवं गौरवमय साहित्यिक साधन हेतु वरिष्ठ गद्य लेखिका श्रीमती आनंदकौर व्यास एवं कवि-आलोचक-शिक्षाविद भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ का उनके आवास पहुंच कर सांझी विरासत संस्था द्वारा सम्मान अर्पित किया गया।
इस अवसर पर कवि-आलोचक भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने अपने सुनहरे दिनों का स्मरण किया व कहा कि मैं हर्षित हूं कि सांझी विरासत के इस आत्मिक सम्मान से वे अपनी सुखद अनुभूतियों को याद करते हुए आनंदित है। उन्होंने कहा कि मुझे अपनी अग्रज पीढ़ियों का स्नेह और आशीर्वाद मिला वही समकालीनों का सहयोग मिला। सात पीढ़ियों के इस ऐतिहासिक सफर में उन्होंने अनेक मुकाम देखे वहीं सतरंगी अनुभवों से उन्होंने स्वयं को समृद्ध किया है। बीकानेर के साहित्यिक अवदान पर चर्चा करते हुए विनोद ने कहा कि यहां के अनेक रचनाकारों में राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभाएं हैं किंतु आलोचना के अभाव से उनका उल्लेख व्यापक स्तर पर होना शेष है।
वरिष्ठ गद्यकार श्रीमती आनंद कौर व्यास ने कहा कि मैंने कोई बड़ा या महान कार्य नहीं किया वरन अपने जीवन काल में हिंदी और राजस्थानी साहित्य में उपन्यासों और कहानियों के माध्यम से अपने आस-पास के जीवन और चरित्रों को साकार करने का प्रयास किया है और यह सुखद-प्रीतिकर है कि यह प्रयास पाठकों द्वारा पसंद किया गया।
कार्यक्रम के आरंभ में सांझी विरासत सम्मान और आयोजन के संयोजक कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी ने सांझी विरासत की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बीकानेर शहर के पुरोधाओं के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकेंगे कि उन्हें विविध क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा के बल पर विशिष्ट स्थान अर्जित कर देश-समाज का मार्गर्दशन करने वाली विभूतियों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। जोशी ने कहा कि सांझी विरासत का सम्मान अपनों का अपनों द्वारा आत्मिक सम्मान है और इस सम्मान को अर्पित करते हुए सांझी विरासत स्वयं सम्मानित और गौरवान्वित होती रही है। सांझी विरासत के संयोजक राजेंद्र जोशी ने बताया की इससे पूर्व बुलाकी दास बावरा, मालीराम शर्मा, शिवराज छंगाणी, डॉ. देवीप्रसाद गुप्त, लालचंद भावुक, श्रीलाल नथमल जोशी, गिरधारी लाल व्यास, एल.एन.माथुर, सूर्यशंकर पारीक , वत्सला पाण्डे, डॉ. मुरारी शर्मा, हरदर्शन सहगल, प्रो. विजयशंकर व्यास, लक्ष्मीनारायण सोनी, नूर बीकानेरी आदि विद्वानों का संस्था द्वारा सम्मान उनके निवास पर जाकर किया गया।
बीकानेर में साहित्यिक वातावरण के विकास और युवाओं को प्रेरणा-मार्गदर्शन देने में एनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले भवानीशंकर व्यास विनोद और आनंदकौर व्यास का महत्त्वपूर्ण अवदान पर सम्मान-समारोह के अध्यक्ष नगर विधायक डॉ. गोपाल जोशी ने कहा कि विनोदजी ने जिस किसी भी क्षेत्र में कलम चलाई और काम किया पूरी गंभीरता, निष्ठा और लगन के कारण सफताएं अर्जित की, वे बीकानेर की युवा पीढ़ी के लिए आदर्श पुरुष हैं। डॉ. जोशी ने मंचीय कवि सम्मेलन और भवानी शंकर व्यास विनोद की लोकप्रियता की सराहना करते हुए अनेक प्रसंग साझा करते हुए कहा कि व्यास-युगल की साहित्यिक साधना अद्वितीय और अनूठी है इनका सम्मान कर मुझे बेहद खुशी है और मैं समझता हूं कि ये वर्तमान समय में मानक हैं और इनका मुकाबला करने वाला इस क्षेत्र में कोई दूसरा नहीं है।
मुख्य अतिथि व्यंग्यकार-कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ का हिंदी और राजस्थानी के अलावा अंग्रेजी में भी समान अधिकार रहा है जिससे आपकी सुदीर्घ साहित्यिक साधना बहुआयामी रही है। अनेक विधाओं में सृजनात्मक लिखने के साथ आपने आने वाली तीन पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है। शर्मा ने कहा कि सौ से अधिक भूमिकाओं के लेखक विनोद की अपनी शैली है किंतु वे किसी भी पाठ के अंत में जिन मार्मिक और गंभीर सत्यों का उद्घाटन करते हैं उस पर गौर किए जाने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डॉ.वत्सला पांडे ने कहा कि आनंद कौर व्यास के लेखक को महिला लेखन अथवा नारी विमर्श के खाते में डालना उनके मूल्यांकन में भारी भूल होगी, उनका लेखक बिना किसी खांचे के एक संपूर्ण और समग्र इकाई के रूप में देखा और पहचाना जाएगा तभी उनका सही आकलन होगा। पांडे ने कहा कि आनंद कौर व्यास के अवदान पर वे जल्द ही एक पुस्तक का संपादन करेंगी।
कार्यक्रम में बोलते हुए कवि आलोचक डॉ. नीरज दइया ने अपने अध्ययन काल के दिनों को साझा करते हुए अपने गुरु भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ की स्मृतियों को साझा करते हुए उन्हें प्रेरणास्पद शिक्षक, बड़े कवि-आलोचक के रूप में सराहना करते हुए कहा कि हम किसी कार्य की प्रविधि में गंभीरता से अध्ययन-मनन और चिंतन की प्रेरणा व्यास गुरुजी से ग्रहण कर सकते हैं।
सांझी विरासत द्वारा बीकानेर को राष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्रदान करवाने में व्यास-युगल की सुदीर्घ साहित्यिक सेवाओं के अविस्मरणीय योगदान हेतु शॉल, श्रीफल तथा अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया वहीं कार्यक्रम में आए अनेक बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों एवं पाठकों द्वारा भी व्यास-युगल का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में संगीतज्ञय डॉ. मुरारी शर्मा, लेखक नदीम अहमद नदीम, शायर इरशाद अजीज, बहुभाषी रचनाकार मोहन थानवी, कवयित्री डॉ. रेणुका व्यास, साहित्यकार अशफाक कादरी एवं कवि नवनीत पाण्डे आदि ने व्यास-युगल से जुड़े अनेक अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार, चंद्र शेखर जोशी, प्रेमरतन व्यास, जगदीश प्रसाद शर्मा ‘उज्जवल’, राजेन्द्र सांड, प्रतिभा सांड, डॉ. नरपतसिंह सांखला, ऋषिमोहन जोशी, नेमचंद गहलोत, डॉ. सुलक्षणा दत्ता, इसरार हसन कादरी, बी.एल. नवीन, नग्रेंद्र किराडू, शिवशंकर व्यास, अरविंद ऊभा, शांतिप्रसाद बिस्सा, मोइनूदीन कोहरी, कासिम बीकानेरी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में आभार व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र जोशी ने किया।
(मोहन थानवी)

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