ये गौरक्षक नहीं बल्कि अपराधी तत्व है

-बाबूलाल नागा-
पहलू खान और उनके परिवार को न्याय दिलाने की मांग को लेकर राजस्थान सहित देश में भी पुरजोर मांग की जा रही है। यह मामला देश की संसद से लेकर मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। पिछले एक महीने से लगातार प्रदेश में पहलू खान की हत्या से जुड़े नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आंदोलन किए जा रहे हैं। इसके लिए राजस्थान सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है पर सरकार है कि हत्यारों को बचाने में लगी हुई है। घटना के एक माह बाद भी नामजद लोगों को गिरफ्तारी नहीं किया गया है।

बाबूलाल नागा
बाबूलाल नागा
इस बीच देश में गाय व गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी आए दिन बढ़ रही हैं। मुसलमान और दलित जो बड़ी संख्या में किसान व गौपालक हैं और कुछ वंचित समाज के लोग मरी हुई गायों की खाल उतारने का पारंपरिक काम करते हैं, उन पर यह हमला सबसे तीव्र है। उनके जीने का अधिकार ही खतरे में हैं। देश में कुछ चौंकाने वाली घटनाएं हुई हैं जहां गाय के नाम पर इंसानों को मौत के घाट उतार दिया या पीट-पीट कर घायल कर दिया है उनका उल्लेख करना जरूरी है।
गाय के नाम पर हत्या की पहली घटना 30 मई 2015 को बिरलोका गांव, खींवसर, तहसील, जिला नागौर, राजस्थान में हुई। बेवजह अब्दुल गफार कुरैशी पर बडे़ पत्थरों से हमला किया, जिससे कि उसकी मौत हो गई। इससे पूर्व तथाकथित गौरक्षकों व बजरंग दल ने अफवाह फैलाई कि कुम्हरी गांव के जिस प्लाट पर नगर निगम के ठेकदार ने 200 गायों के कंकाल रखे थे, दरअसल वह मुसलमानों द्वारा कत्ल कर सेवन की गई गायों के कंकाल है। तीन दिन तक यह अफवाह फैलाने के बाद बेवजह अब्दुल गफूर को मार डाला गया। राजस्थान सरकार तत्परता से पेश आई। इस मसले में जनदबाव के चलते अब्दुल गफुर को 8 लाख मुआवजा दिया और 8 लोगों को तुरंत गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया था। पर अब्दुल गफूर के परिवार में कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति नहीं होने व राजस्थान पुलिस ने अपराधियों को बचाते हुए सभी आरोपी को छूटने का मौका दिया।
बहुचर्चित दादरी कांड आपको ज्ञात होगा। 26 सितंबर 2015 को बिसाड़ा, दादरी, गाजियाबाद जिला, उतरप्रदेश मंे मोहम्मद अखलाक के घर में घुस कर के गौमांस को रखने के संदेह में उग्र भीड ने हमला कर 55 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को मार डाला और उनका छोटा पुत्र दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया। देशभर में जब इसका विरोध हुआ और लेखकों और साहित्यकारों ने भारत सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कारों को लौटाया। तब जाकर एक दर्जन लोगों को गिरतार किया। इसी तरह झारखंड लातेहार तहसील में 18 मार्च 2016 को तथाकथित गौरक्षकों ने 32 वर्षीय मजलूम अंसारी और उनके भतीजे 15 वर्षीय इम्तियाज खान जो 8 बैल लेकर बेचने जा रहे थे, उन्हें पीट-पीट कर मार डाला और लाशें पेड़ पर लटका दी गई। यह सब दिन दहाडे़ हुआ। पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनको कुछ समय बाद जमानत पर छोड़ दिया गया। जून 2016 में राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में 150 से अधिक बजरंगदल व गौरक्षा समिति के सदस्यों ने 96 बैल गुजरात व महाराष्ट्र ले जाते हुए ट्रकों को रोका, गौ-तस्करी, गोकशी के आरोप में ट्रक ड्राइवरों को बहुत मारा और एक को तो नंगा करके पिटाई की, जिसमें पुलिस भी शामिल थी।
11 जुलाई, 2016 को गिर सोमनाथ जिले के 24 किलोमीटर दूर, ऊना कस्बा गुजरात में वाल्मीकी समाज के 4 दलित युवक मरी हुई गायों के चमडा उधेड़ रहे थे।कथित गौरक्षकों ने उन्हें 1 एसयूवी गाड़ी से बांध कर लगातार लोहे के सरिये से और डंडों से खुले में मारते हुए पूरे शहर में घुमाया और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में डाला। इस वीभत्स घटना के विरोध में प्रदेश का पूरा दलित व अमन पसंद समाज उठा और गाय को लेकर हो रहे अत्याचार के विरोध में गुजरात में आंदोलन किया। राजस्थान के राजसमंद जिले में 3 अक्टूबर2016 को गवरू बंजारा के परिवार के 3 लोग कुवारिया पशु मेले से 6 बैल लेकर अपने गांव भामाखेडा, रेलमगरा तहसील ले जा रहे थे। अपने गांव के छोर पर 17 तथाकथित गौरक्षकों ने रात के 12 बजे हमला किया और उनसे 5-10 हजार रुपए मांगे। जब उन्होंने देने से मना किया तो उनके पीछे भागे और उनका से भरा गायों का ट्रक लूट लिया। पड़ोस के गांव वालों ने गवरू बंजारा के परिवार को बचाया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पहुंचकर 2 प्रमुख हमलावरों गिरफ्तार किया। जयपुर जिले के बनीपार्क इलाके में 19 मार्च 2017 को गौरक्षक महिला समिति की साध्वी कमल दीदी ने तो हद ही कर दी। होटल हयात रब्बानी पर गौमाता का बीफ खिलाने का आरोप लगाकर अफवाह फैलाई और होटल में स्थित कर्मचारियों को पुलिस के सामने पीटा गया और जब होटल मालिक नईम रब्बानी ने आने से इंकार किया तो जयपुर नगर निगम के महापौर से हस्तक्षेप करवाकर होटल खाली करवा कर होटल सील करवा दिया गया। होटल के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई और हड्डियां एफएसएल में जांच के लिए भेजी। कमल दीदी के विरुद्ध जो एफआइआर दर्ज हुई उस पर आज दिन तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जाहिर है कि वारदात में पुलिस की पूर्णरूप से मिली भगत थी। 22 अप्रैल 2017 को जम्मू में गुर्जर बकरवाल घुमंतू समूह के परिवार जब 16 गायों बछड़ांे, भेड़ व बकरी सहित रियासी इलाके से किश्तवर की गौचर इलाकों में ले जा रहे थे। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल व कथित गौरक्षक दल वालों ने बुरी इस तरह घुमंतू परिवार वालों को मारा जिसमें 8 साल की बच्ची व एक अन्य की सिर की हड्डी टूट गई और 3 अन्य बुरी तरह घायल हो गए। दिल्ली शहर में 22 अप्रैल की रात 11.30 बजे 3 मुसलमान बाशिंदे आशु रिजवान व कामिल जब भैंसों को सारे दस्तावेज सहित गाजिपुर ले जा रहे थे तो उन पर तथाकथित गौरक्षकों ने हमला किया और उन्हें घायल किया।
गौरक्षकों की ओर से लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर देना और गौहत्या को रोकने का भला ये क्या तरीका है ? धर्म की आड़ में किसी भी व्यक्ति पर हिंसा या प्रताड़ना सीधे सेक्युलर संविधान पर हमला है। यह तो चुनिंदा घटनाएं हैं, अब तो रोज ही गाय के नाम पर गुंडागर्दी चल रही है। देशभर में बहुत बड़ी संख्या में इस तरह के हमले कथित गौरक्षकों के द्वारा गाय के नाम पर किए जा रहे हैं। दरअसल यह गौरक्षक नहीं है बल्कि अपराधी तत्व हैं जो गाय के नाम पर गुंडागर्दी कर पैसे ऐंठना व अपना भय कायम करना चाहते हैं। असली गौरक्षक वह किसान, गौपालक इत्यादि हैं, जो गाय की सेवा कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

(लेखक पाक्षिक समाचार सेवा विविधा फीचर्स के संपादक हैं)

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