बीकानेर/ 04 जून/ महावीर इंटरनेशनल बीकानेर के तत्वावधान में पर्यावरण दिवस के सन्दर्भ में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्रथम दिन रविवार को स्थानीय नागरी भंडार स्थित सुदर्शना कला दीर्घा में पर्यावरण विषय पर काव्यगोष्ठी आयोजित की गयी। काव्यगोष्ठी में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डॉ.वत्सला पांडे थी। अध्यक्षता नगर विरासत सरदार अली पडिहार ने की। इस काव्य गोष्ठी में नगर के डेढ दर्जन से अधिक कवियों ने पर्यावरण से सम्बन्धित कविताएं सुनायी । कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष पूरणचन्द राखेचा ने स्वागत करते हुए बताया कि पूरे देश में संस्था के चार सौ से अधिक केन्द्र सेवा कार्यों में संलग्न है। राखेचा ने कहा कि सभी केन्द्र पर्यावरण दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि रचनाकारों की रचनाएं प्रकृति के समीप होने के कारण प्रदूषण के खतरों को रोकने में सहायक होती है । काव्यगोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ. वत्सला पांडे ने कहा कि कवि की रचनाओं में प्रेम, हवा, पानी, प्यास, प्रकृति, वृक्ष जैसे शब्दों का होना अस्वाभाविक नहीं है। उन्होंने कहा कि रचनाकार और प्रकृति का व्यवहार एक जैसा होता है। कवि सहजता से सुनने और सुनाने को महत्व देता है। सदियों से प्राकृतिक वातावरण में रहकर कवि अपनी रचनाओं को पाठक के सम्मुख परोसता है। आज के बढते प्रदूषण को रोकने में कवि की कविता सार्थक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सरदार अली पडिहार ने कहा कि वृक्षों की जडें जिस प्रकार गहरी होती है उसी प्रकार रचनाकार की कविता मनुष्य के अन्दर गहरे तक पेठ जमाती है। पडिहार ने कहा कि भारत का कवि इस देवभूमि पर अपने शब्द रचकर पर्यावरण प्रदूषण के खतरों से निजात दिलाने का उपक्रम कर रहा है। संस्था सचिव एवं कवि, कथाकार राजेन्द्र जोशी ने अपनी रचनाएं सुनाते हुए कहा कि इस वाहियात दुनिया में जीवन जीने का सहारा प्रकृति और कविता से प्राप्त होता है। बाजारवाद को मनुष्य और प्रकृति दोनों के दर्द से कोई सरोकार नहीं है, ऐसे में कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित रख सकता है। जोशी ने कहा कि हमें जिन्दगी की बेहतरी के लिए पर्यावरण को बचाए रखने की जरुरत है, इस काम को लेखक-कवि और रचनाकार बखूबी कर सकता है । काव्यगोष्ठी में वरिष्ठ कवयित्री उषाकिरण सोनी ने अपनी रचना ‘साध रहा जो आज केवल सुख, सुविधा और निजत्व। कैसे बचा पाएगा वह मनुज अपना भी अस्तित्व’ ॥ कवि कमल रंगा ने दरख्त कविता श्रृंखला से–जाळ, कैर, बोरटी-खेजडी, नीम-सरेस एवं एक बीजै बीजै छैती उभा आपौ आप री निरवाळी एवं हरियल पानडा सुनाई। कवि राजाराम स्वर्णकार ने ‘युवा पीढी मुंह पर मास्क लगा कर इतरा रही है, ऑक्सीजन पाने हेतु छटपटा रही है। क्यों ना हम सभी पौधारोपण करें अपने बच्चों की भांति इनका वरण करें’ सुनाकर वाहवाही लूटी। डॉ. रेणुका व्यास ने ‘भगदड में खोयी भोली भाली प्रीत बचा ले, पर्वत, बादल, जंगल, दरिया, धरती, पानी गीत बचा ले’ सुनाई। डॉ.कृष्णा आचार्य ने बढा प्रदूषण जीना मुश्किल, वरिष्ठ कवि मोहन थानवी ने कोटर के आंसू कविता से ‘ठूंठ बनते जा रहे पेड के पास तने से निकलते आंसू’ सुनायी।
वरिष्ठ युवा कवि, आलोचक डॉ.नीरज दइया ने ‘माटी रा ढगळिया कविता में घाटी बिचाळै कीं लखण है ठा नीं पडै कि चढाव है या उतराव है’ से माटी का प्रकृति से संबंध रेखांकित किया। कार्यक्रम में गौरीशंकर मधुकर, जुगल किशोर पुरोहित, कृष्णा वर्मा, कासिम बीकानेरी सहित अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में एडवोकेट बछराज कोठारी, महेन्द्र जैन, साहित्यकार बुलाकी शर्मा, डॉ. धर्मचंद जैन, एपेक्स के सचिव संतोष बाठिया, डॉ. ओम कुबेरा, महेन्द्र बरड़िया, ओ.पी.शर्मा, आत्माराम भाटी, प्रो.अजय जोशी, मुक्ता तैलंग, मुरली मनोहर माथुर, शंकरलाल व्यास सहित अनेकों गणमान्यजनों की साक्षी में सभी कवियों का संस्था द्वारा सम्मान किया गया। आभार महेन्द्र जैन ने ज्ञापित किया। सोमवार प्रात: 8.00 बजे ब्रह्म बगीचे में वृक्षारोपण किया जाएगा । राजेन्द्र जोशी, सचिव
