राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.10.2009 के अनुसार राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2009 के तहत वेतन स्थिरीकरण का लाभ देकर वेतन की अन्तर राशि का भुगतान तथा उपरोक्त वेतन स्थिरीकरण के उपरान्त देय अन्तिम वेतन के आधार पर उपदान की राशि तथा अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि मय ब्याज सहित भुगतान के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने प्रार्थीगण का आवेदन स्वीकार करते हुये अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, एस.एस.जैन सुबोध पी.जी. कॉलेज, रामबाग सर्किल, जयपुर को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण को राज्य सरकार के आदेश दिनांक 27.10.2009 के अनुसार राजस्थान सिविल सर्विसेज रूल्स, 2009 के तहत नियमानुसार वेतन स्थिरीकरण का लाभ दिया जाकर बकाया वेतन के अन्तर की राशि एवं उक्त वेतन स्थिरीकरण के पश्चात् नियमानुसार देय अन्तिम वेतन के आधार पर नियमानुसार देय उपदान की राशि एवं उनके अवकाश खाते में कार्यमुक्ति की दिनांक को बकाया उपार्जित अवकाश के बदले नकदीकरण की राशि एवं सम्पूर्ण राशि पर बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित राशि का भुगतान प्रार्थीगण को करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डॉ0 रीता शर्मा की नियुक्ति दि0 06.12.1982 को, डॉ0 राजेश जैन की नियुक्ति दि0 02.02.1987 को, डॉं0 राकेश पाण्डे की नियुक्ति दि0 12.08.1986 को, डॉ0 प्रमिला कुमारी की नियुक्ति दि0 07.11.1983 को, डॉ0 लतिका झॉ की नियुक्ति दि0 21.07.1985 को एवं डॉं0 सतीश चतुर्वेदी की नियुक्ति दि0 07.09.1995 को अप्रार्थी संस्था में व्याख्याता के पद हुई थी। तत्पश्चात् प्रार्थीगण को स्थायी किया गया। प्रार्थीगण को राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के अनुसार राज्य सरकार की सेवा में नियुक्ति होने के कारण दि0 30.07.2011 को अप्रार्थी संस्था से कार्यमुक्त किया गया। प्रार्थीगण द्वारा अप्रार्थी संस्था से उपरोक्त लाभ प्रदान करने हेतु अभ्यावेदन प्रस्तुत किये परन्तु अप्रार्थी संस्था ने कोई भुगतान नहीं किया। प्रार्थीगण ने इससे पीड़ित होकर अपने अधिवक्ता डी.पी. शर्मा के माध्यम से अधिकरण के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर उक्त लाभ दिलाने का निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता का तर्क था कि अप्रार्थी संस्था राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत होते हुए राज्य सरकार के शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है तथा अनुदान की राशि भी प्राप्त करते रहने के कारण राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवम् नियम 1993 के प्रावधानों से शासित होती है। प्रार्थीगण के कार्यरत रहने के दौरान अप्रार्थी संस्था के अनुदानित होने के कारण प्रार्थीगण अधिनियम 1989 की धारा 29 और नियम 1993 के नियम 34 के अनुसार राज्य कर्मचारियों के समान उक्त सभी लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त लाभ नियमानुसार ब्याज सहित प्रार्थीगण को अदा करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।