एक मुकम्मल जांच होनी चाहिए और दोषी कोई भी हो उन्हें बख्शा नही जाना चाहिए ,
अजमेर नगर निगम आज की तारीख में भ्रस्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है और ये मै ही नही अजमेर का बच्चा बच्चा कहता है , सभी जानते है कि निगम से कोई काम करवाना है तो बिना पैसे नही होगा , ओर उस पर तुर्रा ये की ये लोग साफ कहते है हमारा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता ,इन लोगो ने कानून को अपने से बहुत छोटा समझ लिया है परंतु जब कानून के हाथ चलते है तो अच्छे अच्छे धुरंधर धूल फांकते नजर आते है
एसीबी अगर सिर्फ इस मामले को ही देख ले कि पिछले कमिश्नर साहब ने कितनी फाइलों पर सीज़ के आदेश किये थे और उन पर कितनी कार्यवाही हुई इससे ही पता चल जाएगा कि कोन लोग है जो इस तरह फाइलों को दबा के बैठ जाते है ओर उनका क्या फायदा है इन फाइलों को दबाने से , उन पर कार्यवाही न करने के लिए कितने पैसे लिए गए है
आज निगम में नक्शा पास करवाना मतलब नाको चने चबाने जैसा है व्यावस्ययिक तो छोड़ो घरेलू नक्शे पास करवाने के भी 30 से 40 हजार रुपये लगते है बिना उसके नक्शा पास ही नही होता एसीबी को इसकी भी जांच करनी चाहिए और देखना चाहिए कि ये भ्रस्टाचार की गंगा की गंगोत्री कहाँ है और वही पर पत्थर रखकर इस गंगोत्री को रोकना चाहिए
विनीत जैन
न्यूज़ फ़्लैश
अजमेर संभाग
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