इंडिया जाना है तो हिंगलिश सीख लो.. साहब!

लंदन [जेएनएन]। अंग्रेजी भाषा का एक नया रूप अब तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। हिंदी और इंगलिश के इस मिश्रित रूप हिंगलिश का चलन बढ़ता जा रहा है। यह नया रूप धीरे-धीरे भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा बनती जा रही है। इस बात का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि अब ब्रिटेन के राजनयिकों को हिदायत भी दी जाने लगी है कि भारत में अपनी पदस्थापना से पहले वे यह नई भाषा सीख लें।

हिंगलिश अपने आप में कोई भाषा नहीं है लेकिन हिंदी व अंग्रेजी शब्दों को आपस में मिलाने में सहजता तथा एक ही वाक्य में इस तरह के कई शब्दों के उपयोग की सुविधा के चलते यह एक नई भाषा के रूप में विकसित होती जा रही है। हालाकि भाषा में यह मिलावट औपनिवेशिक काल से चली आ रही है लेकिन पिछले कुछ समय में इसका प्रसार तेजी से हुआ है।

ब्रिटेन का यह मानना है कि ऐसे राजनयिक जिन्हें हिंदी के शब्दों का ज्ञान नहीं हो, उनकी इस नासमझी से रिश्ते एवं व्यावसायिक सौदे प्रभावित हो सकते हैं।

पिछले दो सौ वर्षो से अंग्रेजी व्यावसायिक घरानों, निजी स्कूलों एवं उच्च वर्ग की पसंदीदा भाषा रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब इंगलिश का स्थान यह नई भाषा हिंगलिश लेती जा रही है। विदेशों में अंग्रेजी भाषा में बोले जाने वाले कई शब्द जैसे शैम्पू एवं पायजामा का मूल भारत ही है।

कई भारतीय टीवी चैनल एवं चलचित्रों में भी अब उन्मुक्त रूप से इन दोनों भाषाओं के मिले हुए रूप का प्रयोग आम हो गया है। इसका प्रभाव जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी देखने में आ रहा है। टेलीविजन एवं इंटरनेट पर लोगों की बढ़ती पहुंच के कारण अब शहरों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में हिंगलिश का प्रसारण हो रहा है।

डिप्लोमैटिक पॉलिसी के शिफ्ट होने की सबसे पहले सूचना देने वाले अखबार टेलीग्राफ ने बताया है कि किस प्रकार बॉलीवुड की फिल्मों में इंगलिश का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। इस बीच, टेलीविजन के विज्ञापनों में भी इन दोनों भाषाओं का मिश्रण देखने में आ रहा है।

मसलन हाल ही में शैम्पू के एक विज्ञापन में प्रयुक्त स्लोगन में यह कहते हुए दिखाया गया है कि – कम ऑन ग‌र्ल्स, वक्त है शाईन करने का। पहले जहा राजनयिकों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे धाराप्रवाह इंगलिश बोलने में सक्षम हों लेकिन अब यह ज्ञान पर्याप्त नहीं माना जाता, खासतौर पर व्यावसायिक मामलों में।

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