तो हम भगवान से व्यापार कर रहे है-सुधासागर महाराज

sudha sagarमदनगंज-किशनगढ़। मुनि सुधासागर महाराज ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में अपने प्रवचन में कहा कि कुछ लोगों की आंख ऐसी होती है जो देख ले तो उस आंख को फोडने का भाव आता है और कुछ आंख ऐसी होती है कि पड़ जाए तो बेड़ा पार हो जाता है। आंख तो सबकी है। लेकिन वो आंख इतनी पावन है कि लोग तरस जाते है कि महाराज एक बार आंख उठाके देख ले इतने में धन्य। महाराज से कुछ लेना देना तो कुछ है नहीं। मुनिश्री ने कहा कि जहां कुछ मिलता है वहां यदि भक्त जाता है तो समझ लेना कि ये गुरू शिष्य नहीं, ये व्यापार है। यदि हम भगवान के पास इसलिए जाए कि हमें वहां से कुछ मिलेगा, तो हम भगवान से व्यापार कर रहे है। भगवान को साधन नहीं साध्य बनाओ। दो प्रकार के लोग होते है एक धर्म से धन को कमाता है। और एक धन से धर्म को कमाता है। धर्म को साधन मान लेता है संसार की यह मिथ्या दृष्टि है। रावण आदि जैसा। और दूसरे धर्म को साध्य मान लेते है राम चन्द्र जी भरत जैसे। जिनके लिए धर्म साध्य है। कितने लोग है जो संसार के लिए धर्म करते है और कितने लोग है जो संसार धर्म के लिए करते है। एक मंदिर आ रहा है धन के लिए दुकान के लिए और एक दुकान जा रहा है मंदिर के लिए। मुनिश्री ने कहा जिस प्रकार हम दु:ख आने पर भगवान का नाम लेते है उसी प्रकार सुख आने पर भी भगवान का नाम लो। मुनिश्री ने कहा कि सम्यक दृष्टि की पहचान है कि दूसरों में तो गुण देखें और अपने गुणों को ढांके और अपने अवगुण देखे। जिस दिन हमने अपने गुण देखने लग जाएंगे उसी दिन से हमारा विनाश हो जाएगा और हमारा विकास रूक जाएगा।
ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार प्रात: अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, सायंकालीन आरती एवं वात्सल्य भोज पुण्यार्जक का सौभाग्य सुशीला जैन संदीप संगीता शशांक उषा प्रतीक प्रिया अपार मनन भूमिका समृद्धि कनिष्का जैन (गोधा) परिवार को मिला।

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