गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी

अगले साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी कर रहे है। इसके साथ ही कांग्रेसी नेताओं को संतुष्ट करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियों का भी एक दौर होगा।

मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री 26 अक्टूबर को दिल्ली जाएंगे, वे इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल एवं प्रदेश प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक से चर्चा करेंगे।

मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री पर लम्बे समय से कांग्रेसी विधायकों एवं कांग्रेस आलाकमान का दबाव है, लेकिन अब तक वे इसे टाल रहे थे, किंतु अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में फेरबदल एवं राजनीतिक नियुक्तियां करना मजबूरी हो गया।

दो सौ सदस्यीय विधानसभा के 15 प्रतिशत मंत्री बनाए जा सकते है, वर्तमान में गहलोत मंत्रिमंडल में 27 सदस्य है और तीन सीट रिक्त है। सूत्रों के मुताबिक आगामी फेरबदल में मुख्यमंत्री तीन रिक्त पद भरने के साथ ही मौजूदा मंत्रियों में से भी दो को हटाने पर विचार कर रहे है। विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरणों को देखते हुए जाट, गुर्जर और मीणा समाज में से एक-एक मंत्री बनाए जा सकते है। तीनों ही जातियों का राज्य में प्रभाव है।

दौसा के निर्दलीय सांसद किरोड़ी लाल मीणा और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला द्वारा प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाए जाने की कवायद को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व गुर्जर-मीणा वोट बैंक को लेकर परेशान है, बैंसला एवं मीणा दोनों की ही अपने-अपने समाज में मजबूत पकड़ है और अगर प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनता है तो कांग्रेस को सबसे अधिक नुकसान होगा। इस लिहाज से दोनों समाजों में से एक-एक प्रभावशाली विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है।

वर्तमान में गुर्जर समाज से एक मंत्री और दो संसदीय सचिव है। वहीं मीणा समाज से एक मंत्री और दो संसदीय सचिव है। इसी तरह से प्रदेश के छह से सात जिलों में प्रभाव रखने वाले जाट वोट बैंक को कांग्रेस से जोड़े रखने के लिहाज से जाट नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के माध्यम से उपकृत किया जा सकता है, मौजूदा मंत्रियों में सबसे अधिक पांच मंत्री जाट समाज के ही है।

पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री के खिलाफ लॉबिंग कर रहे कांग्रेसी नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों के माध्यम से मंत्री स्तर का दर्जा देकर खुश किया जा सकता है।

राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना को देखते हुए केंद्रीय रेल मंत्री डॉ.सी.पी. जोशी भी अपने खेमे के विधायकों में से एक-दो को मंत्री बनवाना चाहते है, हालांकि मुख्यमंत्री जोशी खेमे के किसी विधायक को मंत्रिमण्डल में शामिल करने के लिए तैयार नहीं है। इसी कारण से मंत्रिमंडल में फेरबदल एवं राजनीतिक नियुक्तियों का काम अटका हुआ है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और कांग्रेस संगठन में बदलाव के बाद गहलोत को बदलाव की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

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