केकड़ी
सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गुरुवार को देवगांव गेट विद्यासागर मार्ग स्थित चंद्रप्रभु चैत्यालय में जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु भगवान का निर्वाण महोत्सव बड़े- उत्साह भक्ति पूर्वक मनाया गया। प्रात: काल संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य क्षुल्लक श्री नयसागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में उनके मुखारविंद से मंत्रोच्चारण के बीच विश्व में सुख शांति और समृद्धि की मंगल कामना हेतु महापात्रों सहित अन्य श्रृदालुओ द्वारा रजत कलशों से जिनाभिषेक व शांतिधारा की गई। तत्पश्चात् विशेष विधि- विधान करते हुए सभी भक्तों ने निर्वाण कांड का पाठ करते हुए सभी की आत्माएं मोह बंधन से छूट कर मोक्ष प्राप्त करें ऐसी भावना के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाया।
दोपहर विधानाचार्य पंडित सुमित जैन के निर्देशन में आगमोक्त पद्वति से संगीत सरगम की सुमधुर धुनों द्वारा अत्यंत भक्तिभाव पूर्वक भगवान के 124 गुणों की आराधना करते हुए चंद्रप्रभु महामंडल विधान पर मंत्रोच्चार के बीच श्रीफल अध्र्यं समर्पित किए गए। विधान में भाग ले रहे श्रावकों ने भावविभोर होकर भक्तिमय नृत्य किया। इस दौरान सभी श्रावक- श्राविकाओं ने भगवान से प्रार्थना की कि सभी आपके समान अपना कल्याण कर अनंत दर्शन,ज्ञान,सुख,बल अनंत चतुष्टय की प्राप्ति करें।
जेन समाज के प्रवक्ता नरेश जेन ने बताया कि इसी दौरान क्षुल्लक श्री नयसागर जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए अपनी पीयूष वाणी में कहा कि भगवान की पूजन भक्ति भव सागर से पार लगाती है। प्रभु की भक्ति सच्चे मन से, श्रृद्धा,आस्था, विश्वास के साथ तथा निष्काम भाव से करनी चाहिए। संसार में अनंत काल से यह जीव जन्म मरण के दु:खो को सहन कर रहा है।जीवन का नवनिर्माण करते हुए निर्वाण पद की प्राप्ति करना ही हर जीव का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस मरण के पश्चात पुनः जन्म नहीं होता,वह निर्वाण कहलाता है।नर जीवन में जो दया , करुणा,प्रेम व वात्सल्य की ज्योति जलाता है,वह हमेशा प्रसन्नता के साथ जीवन व्यतीत करता है। प्रत्येक जीव अपनी – अपनी करनी का फल भोगते हैं।
सायंकालीन जिनेन्द्र देव की मंगल आरती पश्चात जिनेन्द्र भक्ति कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियों से उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो झूम उठे।
मांगलिक कार्यों में मुख्य पात्रों का सौभाग्य प्रथम अभिषेक, शांतिधारा,मोदक अर्पण, आरती का श्रीमति कैलाश देवी इन्दरमल चेतनकुमार महावीर प्रसाद सूरज टौंग्या परिवार को एवं कमश: दिलसुख अनिल कुमार आशीष कुमार सोनी ढोस वाले, भंवर लाल अमित कुमार टौंग्या नांदसी वाले, महावीर प्रसाद पदम कुमार अक्षत कुमार कासलीवाल,कमल कुमार विमल कुमार भाल,प्रेम चंद सज्जन कुमार पाण्डया, छीतरमल भागचंद सुनिल कुमार बाकलीवाल ने प्राप्त किया। पूजनादि व्यवस्थाओं के सहयोग में अंकित कुमार डाॅ.अर्पित कुमार अंकुर कुमार अहम कुमार पाटनी, प्रेमचन्द मनोज कुमार पाण्डया, कैलाश चंद अभिषेक कुमार पाण्डया,भंवर लाल अमित कुमार टौंग्या, विमल चन्द नरेंद्र कुमार रांवका, महावीर प्रसाद पदमचंद कासलीवाल, रमेशचंद मयंक कुमार मित्तल परिवार रहे।
*विद्यासागर आर्ट गैलेरी*
चंद्रप्रभु पाठशाला के नन्हे- मुन्ने बच्चों द्वारा संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण महोत्सव के उपलक्ष्य में विद्यासागर आर्ट गैलरी के माध्यम से अति सुन्दर कलाकृतियों की रचनाऐ बनाकर आचार्य श्री को परोक्ष रूप में विनयांजलि ज्ञापित की।
