अजमेर, 10 मार्च। हौसला यदि बुलंद हो तो कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है। ऎसी ही एक कहानी है – भंवर कंवर की। पारिवारिक कठिनाइयों रूपी भंवर में फसी श्रीमती भंवर कंवर ने हार नहीं मानी और अपने पति श्री राजेन्द्र स्वामी की मद्द से आगे बढ़ती रही।
भवंर कंवर ने बताया कि शादी के बाद 3 बेटिया होने से परिवार वालों ने ताने मारने आरम्भ कर दिए थे। इससे मेरा बच्चियों को अच्छी शिक्षा देने का हौसला और मजबूत होता गया। आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के लिए ब्यूटी पार्लर का व्यवसाय आरम्भ किया। परिवार द्वारा इसका विरोध करने से पीहर कोटा जाना पड़ा। कोटा में बेटियों का अच्छे विद्यालय में प्रवेश दिलाकर किसी अन्य ब्यूटी पार्लर पर नौकरी की। इस दौरान पति का पूरा साथ मिला। इस बीच पति के साथ दुर्घटना घटित होने से लगभग 6 माह तक बिस्तर पर रहे। सेवा कार्य से ब्यूटी पार्लर का रोजगार भी चला गया।
उन्होंने बताया कि बेरोजगारी तथा बाधाओं के बावजूद हार नहीं मानी और मसालों को पीसकर उन्हें बेचना आरम्भ किया। साथ ही अमरूद, करेला, मैथी दाना और लहसुन का आचार बनाकर बेचना शुरू किया। पैकिंग खाद्य सामग्री होने के कारण फूड लाईसेंस लेना अनिवार्य था। लाईसेंस के लिए कृषि केन्द्र कोटा से फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान स्वयं सहायता समूह तथा उनकी गतिविधियों की जानकारी दी गई। उसी समय समूह गठित करने का फैसला किया। सरकार द्वारा आयोजित होने वाले बूंदी उत्सव में उत्पादों की बिक्री की इससे काफी प्रोत्साहन मिला। अब तक बूंदी के अलावा उदयपुर, सवाईमाधोपुर, पाली, कोटा, जोधपुर एवं चितौड़गढ़ में आयोजित अमृता हाट में दुकान लगाकर उत्पाद बेचे है।
उन्होंने बताया कि अजमेर में पहली बार दुकान लगायी है। इसमें 16 प्रकार के आचार, 14 प्रकार के मसाले, शुद्ध शहद, नवरत्न चटनी, मल्टिग्रेन आटा और सत्तू उपलब्ध है। मेलो तथा अमृता हाट के माध्यम से 15 से 20 हजार रूपए प्रति माह एवं घर पर स्थानीय बिक्री से लगभग 10 हजार प्रति माह की बचत हो जाती है। इस तरह अमृता हाट एवं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से भंवर कंवर ने अपनी राह आसान की।