विदिषा 13 मार्च 2018/ ‘‘हमें कहीं नहीं जाने, हमें तो जलाइयो, जो होता है वही करियो, कह दई हमने‘‘ यह कहना था श्रीहरि वृद्धाश्रम की नानी के नाम से लोकप्रिय सबसे वयोवृद्ध अम्मा श्रीमती केसरबाई नामदेव का, जिनकी अंतिम इच्छा का पूरा सम्मान करते हुए आश्रम संचालक वेदप्रकाश शर्मा एवं श्रीमती इंदिरा शर्मा ने उनका पूरी धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार मुक्तिधाम में अंत्येष्ठि की।
दिवंगत श्रीमती केसरबाई नामदेव का जिला चिकित्सालय में उपचार के दौरान निधन हो गया था। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार आज उनका दाह संस्कार आश्रम संचालक वेद प्रकाश ने पूरे रीति रिवाज के अनुसार किया। उन्हें ससम्मान आश्रम से मुक्तिधाम के लिए विदा किया गया। आश्रमवासी सभी की आंखें नम हो उठी। सभी वृद्ध माताएं बिलख-बिलख कर रो रही थी। शोक व्याप्त होने से आश्रम में सन्नाटा सा पसर रहा है।
विगत 13 वर्षों से यह अम्मा आश्रम को ही अपना घर मानती रही। स्वभाव से भोली, मिलनसार, धार्मिक, सभी को स्नेह देने वाली अम्मा के जीवन के सो वर्ष कब पूर्ण हो गए पता ही नहीं चला। वृद्धाश्रम की ठीक शुरूआत में 13 वर्ष पूर्व बेहद परेशान हालत में आईं अम्मा को आश्रम में घर जैसा ही माहौल मिला। आश्रम संचालक वेद प्रकाश को ही अपना बेटा मान चुकी अम्मा को आश्रम में पूरा मान-सम्मान देखभाल और स्नेह मिला। आश्रम संचालकों के प्रयासों से अनेक सदस्यों के देहदान के संकल्प पत्र उनकी स्वेच्छा से भरे जा चुके हैं एवं दो सदस्यों का मृत्यू उपरांत देह दान किया जा चुका है। यही वजह थी कि पिछले दिनों जब आश्रम के बुजुर्ग धनसिंह साहू का निधन हुआ और उन्हें देहदान के लिए एम्स संस्थान भोपाल मैं ले जाया जा रहा था, तब यह देख अम्मा बहुत डर गई थी और आश्रम संचालक वेद प्रकाश से बोली थी, हमें मेडिकल कॉलेज नहीं जाने, हमें तो जलाइयो, अंतिम संस्कार में जो होत है वही करियो, कल सुबह जिला चिकित्सालय में उनकी मृत्यु के पष्चात वृद्धाश्रम संचालक आवश्यक कार्य से दिल्ली में होने के कारण वरिष्ठ समाजसेवी विकास पचौरी द्वारा उनका शव आश्रम में ही शव फ्रीजर में में रखा गया था। संचालक के लौटते ही आज सुबह आश्रम में नानी पुकारी जाने वाली 102 वर्ष की वृद्ध माँ की अंतिम इच्छा के अनुसार आज उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए वरिष्ठ समाज सेवी विकास पचौरी के शव वाहन से मुक्तिधाम ले जाया गया। आखिर उन्हें अपने बेटे का चेहरा देख कर ही जाना था। इसीलिए वे एक दिन उनके इंतजार में रुकी रही। आज सुबह वेद प्रकाश दिल्ली से वापस आए और उनका अंतिम संस्कार पूरे हिन्दू रीति रिवाज से संपन्न किया। धन्य है वह माँ जिसे ऐसा सच्चा सेवक बेटा नसीब हुआ। भगत सिंह कॉलोनी निवासी हरिओम शर्मा और दीपक शर्मा ने अंतिम संस्कार सामग्री प्रदान की एवं मुक्तिधाम सचिव द्वारा दाह संस्कार के लिये लकड़ी की व्यवस्था की गई।