अहाता-ए-नूर में ‘‘अमन का तआ्फुस‘‘ नाम से विचार गोष्ठी रखी गई

अजमेर (वि.) 4 मई 2018, दरगाह षरीफ अहाता-ए-नूर में ‘‘अमन का तआ्फुस‘‘ नाम से विचार गोष्ठी रखी गई। जिसमें मुख्य अतिथि, अहमदाबाद खानकाह के सज्जादानशीन पीर सैयद फारूख़ साहब थे। इस विचारगोष्ठी में सभी संप्रदाय के लोग मौजूद थे चिश्तीया तंज़ीम के प्रवक्ता सैयद सरवत संजरी ने बताया कि ‘‘अमन का तआफुस‘‘ विचारगोष्ठी में सर्वप्रथम प्रस्तावना चिश्तीया तंज़ीम के संयोजक हाजी सैयद अनीस मिया चिश्ती ने रखी और कहा कि मुल्क के मौजूदा हालात को देखते हुए ख्वाजा साहब की बारगाह से अमन का पैग़ाम दिया जाना अत्यन्त ही आवश्यक है क्यों कि ख्वाजा साहब का पैगाम ही मोहब्बत है और उसका जीता जागता उदाहरण ख़्वाजा साहब की बारगाह में मोहब्बत से लाखों गैर मुस्लिम का आना है। इसके पश्चात संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सूफी सैयद इब्राहीम फखर ने कहा कि इस्लाम और अमन एक ही हैं। हज़रत मोहम्मद साहब की और ख़्वाजा साहब की जीवनी को अगर व्यक्ति पढ़ लें के मोहम्मद साहब ने किन मुसीबतों में अमन के पैगाम को लोगों तक पहुंचाया वो ही काफी है और इस्लाम में जेहाद अमन के लिए हुआ है ना कि हुकूमत व सत्ता के लिए इसी कारण इस्लाम हमेशा से ही अमन का संदेश देता आया है।
संगोष्ठी को अंजुमन सदर हाजी सैयद मोईन हुसैन चिश्ती, अंजुमन सचिव सैयद वाहिद अंगारा शाह, शेख़ज़ादा जुल्फेकार चिश्ती, अंजुमन शेखज़ादगान सचिव डा. माजिद चिश्ती, सैयद सरवत संजरी, सैयद अनवर काज़मी,, सैयद अफ़शान चिश्ती, सैयद एस. एफ. हसन चिश्ती, फादर हीरा लाल मैसी, सरदार जोगिन्दर सिंह दुआ, आदि ने अपने विचार रखे और अमन के संदेश को ख़्वाजा साहब की बारगाह से पूरे देश और दुनिया में फैलाऐ जाने की बात कही क्यों कि समय का तकाज़ा है कि दुनिया में अमनो अमान रहें, मोहब्बत रहे, भाईचारा रहे और ख़ासतौर पर भारत में आपस में सभी कौमें मिलकर रहें।
कार्यक्रम की शुरूआत तिलावते कलाम पाक से की गई और बाद में सैयद नाज़िमुद्दीन नाज़िम द्वारा मनकबत और शेख अयाज़ चिश्ती द्वारा नाते पाक पेश की गई। कार्यक्रम का संचालन सैयद इमरान ख्वाजगानी द्वारा किया गया और अन्त में भारत में अमनो अमान के लिए सैयद इमरान ख्वाजगानी द्वारा दुआऐ खैर की गई।

सैयद सरवत संजरी
प्रवक्ता, चिश्तीया तन्ज़ीम

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