D E E O मस्त -शिक्षक त्रस्त

जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर अपने हाल में मस्त है और शिक्षक त्रस्त ।इनकी लापरवाही और स्वेच्छाचारिता का आलम यह है कि ये अपने ही बॉस तक कि परवाह नही करते और उनके द्वारा जारी आदेशो तक को ये लंबे समय तक अपने कार्यालय में रोक लेते है।जो आदेश निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर से जारी होते है उनको तत्काल संबंधित ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी को भेजने का जिम्मा इन्ही जिला शिक्षा अधिकारी का है।जिसमे ये पूरी तरह असफल रहे।जिले के शिक्षक पीड़ित रहे तो रहे इन्हें केवल अपने टी ए और दैनिक भत्ते से मतलब है चाहे शिक्षकों के कितने ही प्रकरण कार्यालय में लंबित हो इससे इनका कोई सरोकार नही है।ये केवल अपने आकाओं की मिजाज पुर्सी में ही अपना समय बिताते हैं। शिक्षक को उसकी पूरी तनख्वाह मिल रही है या नही इससे इनको कोई मतलब नही है।इसी के चलते आज भी अजमेर कार्यालय में चयनित वेतनमान और सातवें वेतनमान में वेतन स्थिरीकरण के अनेको प्रकरण लंबित है।23 जुलाई को भी शिक्षक संघ प्रगतिशील ने इन्ही सबको लेकर उप निदेशक के यंहा सम्पन्न वार्ता में ये प्रकरण उठाये है।इस पर 7 दिवस का समय शिक्षा अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर संघ द्वारा दिया गया।यह जानकारी कैलाश गौड़ द्वारा दी गई है।
विधायक को किया गुमराह-
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एक प्रकरण में जब संसदीय सचिव और केकड़ी विधायक शत्रुघन गौतम ने इनको फ़ोन किया तो जिला शिक्षा अधिकारी ने तपाक से बोल दिया कि सेवा अभिलेख मेरे कार्यालय में नही है जबकि वास्तविकता यह है कि ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी केकड़ी द्वारा 5 जुलाई2018 को5 A C P प्रकरण जिला कार्यालय को भिजवाये गए थे।इस प्रकार ये विधायक को भी गुमराह करने से बाज नही आ रहे है दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि इनकोअपने ही कार्यालय की पूरी जानकारी नही है।इसीलिए ये एक संसदीय सचिव को भी गुमराह कर चुके है।
सूचना के अधिकार की उड़ा रहे धज्जियां:-
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जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाये नही दिए जाने पर पक्षकार द्वारा प्रथम अपील उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को की गई थी जिस पर उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा द्वारा पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारी को सूचनाये देने के लिए पाबंद किया गया था उसके बाद भी समाचार लिखे जाने तक भी तानाशाही पूर्वक सूचनाये नही दी गई है।मजेदार बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा आवेदक का पोस्टल आर्डर भी नही लौटाया गया और ना ही सूचनाये दी गई।प्रथम अपील के निर्देशों तक को नजर अंदाज करके आखिर ये क्या साबित करना चाहते है।क्या DEEO यह दिखाना चाहते है कि ऊंचे राजनीतिक रासुखातो के चलते उनका कोई भी कुछ नही बिगाड़ सकता है।शायद वे यह भूल गए है कि शिव का वरदान प्राप्त और अथाह मायावी शक्तियां होने के बाद भी रावण का संहार मर्यादा पुरुषोत्तम राम द्वारा किया गया था।
ब्यूरोक्रेसी है हावी:- राजनीतिक संरक्षण के चलते आज यह स्थिति हो गई है कि अपने उच्च अधिकारियों तक कि निचले स्तर के अधिकारी परवाह तक नही करते है।सरकार और मंत्री तो आते है चले जाते हैपरंतु अफसरशाही नही बदलती है केवल ट्रांसफर होते है।आज अफसरों में सरकार का भय बिल्कुल नही रह गया है।इसीके कारण आज भी अनेक शिक्षक त्रस्त है।आलम यह है कि अकेले केकड़ी ब्लॉक में 55 शिक्षकों को 17 c c के नोटिस जारी किए है परंतु जिला शिक्षा अधिकारी के पास उनकी सुनवाई का समय ही नही है।आज भी सभी 55 शिक्षकों पर दंड की तलवार लटकी हुई है जो DEEO साहब की मर्जी पर है कोई समय बद्ध कार्यक्रम जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आज तक घोषित नही किया गया है चाहे शिक्षक मरे या जिये।
नही करते संघठन विरोध:- DEEO की तानाशाही प्रवृति से पीड़ित अनेक शिक्षक संगठन है परंतु कोई भी शिक्षकों के हित मे इनके विरोध में आगे नही आ रहे जाहिर है जब राजनीतिक संरक्षको का वरद हस्त सिर पर हो तो कोन पंगा मोल लेना चाहेगा।ट्रांसफरो के दौर मे आशा थी कि इनका ट्रांसफर होने वाला है परंतु सभी को निराशा ही हुई क्यो की आज भी ये अपने पद पर राजनीतिक संरक्षण के कारण बने हुए है।शायद ये सत्ता के ताबुत में आखिरी कील ठोक कर ही रुखसत होंगे।

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