बीकानेर,25 अक्टूबर। इण्डियन नेशनल ट्रस्ट आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला नई दिल्ली स्थित इन्टेक कार्यालय में आयोजित हुई,जिसमें देश के विभिन्न प्रान्तों से आए इन्टेक के 60 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
कार्यशाला में राष्ट्रीय धरोहरों एवं विरासतों की मौजूदा स्थिति पर प्रदेशवार मंथन किया गया और इनके संरक्षण पर सभी सदस्यों ने जोर दिया। विषय विशेषज्ञों ने अपने-अपने व्याख्यानों में इनके संरक्षण बाबत रचनात्मक सुझाव दिए और इन्टेक इनके संरक्षण में सहयोग करें, उसकी आवश्यकता जताई।
कार्यशाला में इन्टेक बीकानेर चैप्टर के कोषाध्यक्ष सुनील बांठिया व सदस्य शान्ति लाल सेठिया शामिल हुए। बांठिया ने इन्टेक द्वारा बीकानेर में हुए कार्यों की प्रगति से अवगत कराया और कहा कि पश्चिमी राजस्थान में विरासतों और धरोहरों के साथ-साथ विलुप्त होते मरूस्थलीय जीव व वनस्पति को भी सरंक्षण की जरूरत है। इन्टेक वैसे तो इनके संरक्षण पर कार्य कर ही रहा है,परन्तु इसमें और अधिक सहयोग की जरूरत है। बीकानेर चैप्टर राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में इन्टेक के सहयोग कर विलुप्त हो रहे वन्य जीव व वनपस्पतियों के बचाव हेतु कार्य कर रहा है। विश्व प्रसिद्ध उस्ता कला,जो कि लुप्त होती जा रही है,उसके बचाव व संवर्द्धन के लिए भी इन्टेक को सहयोग करना चाहिए।
बांठिया ने बताया कि बीकानेर इन्टेक चैप्टर ने क्षेत्र की विरासत व धरोहरों को सूचिबद्ध कर,इनके संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहा है। साथ ही आमजन को इनके संरक्षण के प्रति जागरूक करने का काम किया है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में 22 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक विषय विशेषज्ञों ने पुरातत्व तालाबों,खण्डहर हो रही ऐतिहासिक इमारतों सहित प्राचीन मशीने,भाप का रेल इंजन के संरक्षण पर जोर दिया। इन्टेक के फाउण्डर मैम्बर ओपी जैन ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।
-✍️ मोहन थानवी