थैलीसीमिया जागरूकता सेमिनार सम्पन्न

केकडी, 20दिसंबर।
अजमेर रिजन थैलिसिमिया वेलफेयर सोसायटी के द्वारा मनाये जा रहे जन जागरूकता पखवाडे के अन्तर्गत आज श्री मिश्रीलाल दुबे महिला शिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय के सभागार में थैलिसिमिया रोग के प्रभावी रोक एवं बचाव तथा स्वैच्छिक रक्तदान पर सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य वक्ता ईष्वर पारवानी महामंत्री थैलिसिमिया सोसायटी एवं उपाध्यक्ष फेडरेषन ऑफ इंडियन थैलिसिमिस नई दिल्ली थे।मुख्य वक्ता पारवानी ने समस्त छात्राध्यापिकाओं को स्वैछिक रक्तदान के प्रति भ्रान्तियों एवं डर हटाते हुए उन्हें रक्तदान के लाभ से अवगत कराते हुए स्वैछिक रक्तदान के प्रति प्रेरित किया। रक्तदान करने से केलेस्ट्रोल शरीर में कम होता है, नए रक्त तत्व कोषिकाए बनती है तथा शरीर में स्फूर्ति आती है। तथा किसी भी प्रकार की शरीर को हानि नहीं होती है। रक्तदान 18 साल से 65 साल की उम्र तक किया जा सकता है, बसर्ते कि वजन 55 किलो हो तथा हिमोग्लोबिन 12.5 प्रतिषत होना अनिवार्य है। प्रत्येक स्वैछिक रक्तदाता 3 माह में एक बार रक्तदान कर सकता है। उक्त रक्तदान किया हुआ रक्त शरीर में 45-56 घण्टे में पुनः सर्जित हो जाता है। बल्ड के ग्रुप के बारे में भी जानकारी दी गई तथा एक युनिट ब्लड से 3 व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती है। विस्तार से समझाते हुए रेड पेकसेल, प्लेटलेट्स तथा प्लाजमा के उपयोगों पर प्रकाष डालते हुए थैलिसिमिया, डेगू एवं हिमोफिलिया रोगियो तथा एक्सिडेन्टल , किडनी रोगियों को प्राण दान दिया जा सकता है।सेमिनार का शुभारम्भ चन्द्र प्रकाष जी दुबे सचिव श्री मिश्रीलाल दुबे मेमोरियल संस्थान द्वारा किया गया।कार्यक्रम का संचालन जगदीष प्रसाद विजय द्वारा किया गया। डॉ रामलाल वर्मा प्राचार्य के द्वारा समस्त छात्राओं को स्वैछिक रक्तदान के प्रति जागरूक रहने का आहवान किया। श्री धर्मेन्द्र श्रीवास, श्री रविन्द्र सिंह शक्तवात, श्रीमति प्रेमलता जोषी तथा सोसाइटी के पदाधिकारी श्री गब्बर कोरवानी एवं भँवरलाल तेली के द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये।थैलिसिमिया रोग पर विस्तार से प्रकाष डालते हुए छात्राओं को बताया कि यह एक अनुवांषिक बिमारी है जो एनिमिक माता और एनिमिक पिता से बच्चे को विरासत में मिलती है। बच्चे को पूरी जिन्दगी रक्त संचरण कराना पडता है तथा शरीर में जमा लोह कणों का विसर्जन दवाईओं द्वारा करना पडता है इसलिए समस्त छात्राओं से थैलिसिमिया का भ्इ।2 शादी से पूर्व करवाना अनिवार्य है ताकि ये पता पडे कि लडकी केरियर है तो उसे केरियर लडके से शादी नहीं करनी चाहिए ताकि थैलिसिमिया रोग से बचाव हो सके इसलिए थैलिसिमिया रोग से बचाव ही उपाय है। अतः पति – पत्नि की जन्म पत्री मिलाने से पूर्व थैलिसिमिया जाँच अनिवार्य रूप से करवा लेनी चाहिए। जो जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज में मात्र 100 रूपये में की जाती है।

error: Content is protected !!