हालांकि उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में जहां हर रोज भस्म आरती से भगवान शिव का अभिषेक होता है वही पुष्कर में स्थित चित्रकूट धाम में साल में केवल महाशिवरात्रि पर्व पर ही भस्म आरती की जाती है । परंतु खास बात यह है कि भस्म आरती के दर्शन करने का जितना आनंद महाकाल मंदिर में आता है उतना ही आनंद पुष्कर के इस धाम में भी आता है । धार्मिक मान्यता है कि भस्म आरती के दर्शन करने मात्र से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के सभी पाप धुल जाते है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है । यही कारण है कि हर साल आयोजित होने वाली इस महा आरती में राजस्थान ही नही बल्कि देश के अन्य शहरों से भी हजारो की संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते है । संत पाठक जी महाराज की माने तो शिवरात्रि पर्व के दिन सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालु भक्तो को दूध मिश्रित जल चढ़ाने के लिए गर्भगृह के अंदर प्रवेश करने दिया जाएगा । 11 फीट ऊंचे शिवलिंग पर श्रद्धालु अपबी बारी आने पर मंदिर प्रशासन की और से उपलब्ध करवाए गए दूध और जल को अपने हाथों से भगवान शिव को अर्पण कर सकेंगे । खास बात यह है कि मंदिर आने वाले सभी श्रद्धालुओ को दूध, जल और पुष्प चढ़ाने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन द्वारा निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी ।
उपासक पाठक महाराज के अनुसार पुष्कर के समीप देवनगर रोड स्थित इस मंदिर पर 4 मार्च महाशिवरात्रि के दिन सुबह सात बजे से शाम 4 बजे तक किसी भी जाति या धर्म से जुड़े श्रद्धालु अपने हाथों से भगवान शिव पर जल चढ़ा सकेंगे । इसके पश्चात शाम 6 बजे भस्म आरती होगी और रात्रि आठ बजे से सुबह चार बजे तक चार प्रहर की अलग अलग पूजा विधि विधान से होगी । इन्होंने सभी शिव भक्तो से आव्हान किया है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में पधारकर देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद ले और पुण्य के भागी बने ।
*राकेश भट्ट*
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