स्वस्थ रहना है तो हमे अपनी जीवन शैली को बदलना पड़ेगा

आज दिनांक 20 मई ( ) श्री जिनषासन तीर्थ क्षेत्र जैन नगर लाल मंदिर नाका मदार अजमेर में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवति षिष्य क्षुल्लक 105 श्री नयसागर महाराज के द्वारा आयोजित आज द्वितीय दिन सर्वोदय संस्कार षिक्षण षिविर मे क्षुल्लक नय सागर जी महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आचरण में अहिंसा चिन्तन में अनैकान्त, वाणी में स्वाध्याय और समाज में अपरिज्ञवाद के द्वारा वीतराग अवस्था को प्राप्त करते हुए परमात्मा अवस्था को प्राप्त कर सकते है। पुरातत्व विभाग के अनुसार जैन धर्म की प्राचीनता क्या है। अनेक प्रसिद्ध पुरातत्ववेताओं ने सिन्धु घाटी की सभ्यता के काल से जैन धर्म की प्राचीनता को स्वीकार किया है। उत्खनन में प्राप्त शील नम्बर 449 के लेख को प्रो. प्राणनाथ विद्यालेकार ने जिनेष्वर पढ़ा है। पुराततत्वविध रायबहादुर चन्द्रा का वक्तव्य है कि सिन्धु घाटी की मोहरी में एक मूर्ति प्राप्त हुई है जिसमें मथुरा की, ऋषभदेव की खड़गासन मुर्ति के समान त्याग व वैराग्य के भाव दृष्टिगोचर होते है। हडप्पा से प्राप्त नग्न मानव धड भी सिन्धु घाटी सभ्यता में तीर्थकरो के अस्तित्व में सूचित करता है।
यह जानकारी देते हुए प्रचार प्रसार संयोजक राजकुमार पॉण्डया ने बताया कि षिविर में प्रषिक्षक बाल ब्रहमचारी मनोज जैन महान भैयाजी के द्वारा बच्चो, महिलाओ व पुरूषों की अलग-अलग कक्षाओं में तीर्थंकरो से सम्बन्धित जीवनी पर विस्तार से प्रकाष डाला गया। इसी क्रम में रात्रि 9ः00 बजे योगाचार्य बाल ब्रहमचारी श्री सुषील भैया जी द्वारा योग कराकर योग की षिक्षा दी गई तथा कहा कि आज मानव पूरी तरह रोग युक्त है। अगर हमे स्वस्थ रहना है तो हमे अपनी जीवन शैली को बदलना पड़ेगा। जैन धर्म मे हजारो वर्ष पहले स्वस्थ रहने के अनेक बिन्दु बताये गये है। अगर हम उन पर तनिक भर भी चलने का प्रयास करेगे तो हम रोग मुक्त हो सकते है। षिविर में खासी, जुकाम, बुखार, जोड़ो का दर्द, अस्थमा, किडनी आदि को देसी औषधी द्वारा निषुल्क ईलाज किया जा रहा है जहॉं पर प्रतिदिन सैकड़ो व्यक्ति धर्म के साथ साथ स्वास्थ्य लाभ ले रहे है।
इसी क्रम में कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रातः 8ः00 बजे से व सांय 7ः00 बजे से निरन्तर षिक्षण व योग कक्षाऐं लगेगी।

(राजकुमार पॉण्डया)
प्रचार प्रसार संयोजक
मो. 9352000220

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