1 अगस्त से विश्व स्तनपान सप्ताह पर होंगे जागरूकता कार्यक्रम
बीकानेर। शिशु के जन्म के साथ ही पहले घंटे में उसे स्तनपान शुरू कराने और इसके फायदे प्रसारित करने विश्व स्तनपान सप्ताह 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाएगा। “माता-पिता को सशक्त बनाना, स्तनपान को सक्षम बनाना” थीम पर गुरुवार से शुरू हो रहे सप्ताह में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न स्तरों पर छोटे-बड़े विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर स्तनपान का महत्व प्रसारित किया जाएगा और स्तनपान के सही तरीके का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. देवेन्द्र चैधरी ने बताया कि एनएफएचएस 4 के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में मात्र 28.4 प्रतिशत बच्चों को ही जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नसीब होता है और मात्र 58.2 प्रतिशत बच्चों को ही 6 माह एक्सक्लूजिव स्तनपान मिलता है। इस सप्ताह का मुख्य उद्देश्य है हर बच्चे को उसका हक यानिकी माँ का दूध मिले, समय पर मिले और माँ के शरीर को भी इससे होने वाले ढेर सारे फायदों की जानकारी रहे। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने बताया कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विशेष रूप से “माँ” यानिकी “मदर्स एब्सोल्यूट अफेक्शन” कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसमे पूरे वर्ष पर्यंत गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं स्तनपान सप्ताह के दौरान “माँ” कार्यक्रम का ही डंका गाँव-गाँव बजेगा। जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने जानकारी दी कि सप्ताह के दौरान जिला, खण्ड व संस्थान स्तर पर संगोष्ठी, प्रशिक्षण, रैली, पोस्टर मेकिंग, डिबेट, निबंध, प्रश्नोत्तरी, नारा लेखन आदि गतिविधियाँ आयोजित कर समाज में स्तनपान के महत्व को स्थापित किया जाएगा।
स्तनपान है अमृतपान
डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने शिशु के लिए स्तनपान के लाभ समझाते हुए बताया कि
ऽ मां के दूध में बच्चे के लिए आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम पर्याप्त मात्रा में होते है।
ऽ मां का दूध पचने में त्वरित और आसान होता है।
ऽ माँ का दूध बच्चे को निमोनिया, कुपोषण व दस्त से बचाता है।
ऽ यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जो कि भविष्य में उसे कई तरह के संक्रमणों से सुरक्षित करता है।
ऽ यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाता है।
ऽ यह किफायती और संक्रमण मुक्त होता है।
ऽ स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ाता है।
मां को भी है बड़े फायदे
ऽ यह स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर की संभावना को कम करता है।
ऽ यह प्रसव पूर्व खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है।
ऽ यह मां को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यतः कम पाया जाता है।