प्योर लीव्ज एलएलपी देने जा रहे हैं घर पर ताजा सब्जियां उगाने की नई तकनीक
अजमेर। स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर ऐतिहासिक अजमेर के निवासियों को जल्द ही एक स्मार्ट सौगात मिलने जा रही है। प्योर लीव्ज एलएलपी नामक नई फर्म घर पर ताजा सब्जियां उगाने की नई तकनीक लॉच करने की तैयारी में है, जो कि एक अनूठा, आसान व बेहद उपयोगी प्रयोग होगा। सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अजमेर पहला ऐसा शहर है, जिसको यह गौरव हासिल होने जा रहा है।
गौरव पथ पर होटल मानसिंह पेलेस के पास मेन रोड पर हाल ही स्थापित प्योर लीव्ज एलएलपी के डायरेक्टर अरुण अरोड़ा व डॉ. राजा मेहता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने हाइड्रोपोनिक होम किट सिस्टम एर्गोनोमिक रूप से डिज़ाइन किया है। यह न केवल इकॉनोमिकल है, अपितु इसका उपयोग आसानी से किया जा सकता है। किट में वह सब है, जो आपको बीज से फसल की ओर बढऩे की आवश्यकता होती है। इस लाजवाब पहल में हाइड्रोपोनिक्स और मिट्टी के बिना खेती के समाधान विकसित किए हैं, जो किसी नौसिखिए केलिए बेहद आसान है। सबसे बड़ी बात ये है कि किट में उगाई गई सब्जियों का पोषण मूल्य उच्च है और यह पूरी तरह से कीटनाशक मुक्त है। इस किट को घर में छत सहित कहीं भी कम से कम जगह में लगाया जा सकता है, जहां उसकी देखभाल आसानी से की जा सकती है। इतना ही नहीं इसका लुक चूंकि सजावटी है, इस कारण इसे ड्राइंट रूम में लगाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि उद्योगों, आवासीय और सेवा भवनों में छत पर सब्जियों के उत्पादन के लिए हाइड्रोपोनिक सिस्टम तकनीक एक आदर्श स्थान है, क्योंकि ऐसे ग्रीन हाउस में फसलें जमीनी स्तर की तुलना में सूर्य के प्रकाश तक बेहतर पहुंच रखती हैं।
उन्होंने बताया कि हाइड्रोपोनिक होम किट सिस्टम का न्यूनतम मूल्य दो हजार पांच सौ रुपए है और अधिकतम मूल्य पच्चीस हजार रुपए तक है। इस सिस्टम में धनिया, पोदीना, मेथी, लेट्यूज, टमाटर, मिर्च, बैंगन, खीरा, भिंडी आदि सब्जियों के अतिरिक्त सभी प्रकार के फूल पैदा किए जा सकते हैं। इस सिस्टम का उपयोग करने के इच्छुक लोगों को उनके बताए गए डिजायन व लागत मूल्य के आधार पर तैयार कर उनके निवास स्थान पर फिट करने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि जल्द ही उनके प्लांट में पैदा की गई सब्जियां व फूलों का विक्रय आरंभ किया जाएगा।
क्या है हाइड्रोपोनिक्स?
इस तकनीक का इजाद इजराइल में हुआ और विदेशों में इसका बहुतायत में उपयोग हो रहा है। हाइड्रोपोनिक्स एक तकनीक है जिसमें खाद्यान्न फसल व सब्जियां बिना मिट्टी की मदद से उगाई जाती है। इससे पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को जल के सहारे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। इस कृषि तकनीक में पौधे एक मल्टीलेयर फ्रेम के सहारे टिके पाइप में उगते हैं और इनकी जड़ें पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरे पानी में छोड़ दी जाती है। यह तकनीक जल के अतिरिक्त बालू या कंकड़ों के बीच नियंत्रित जलवायु में भी प्रयुक्त होती है।
कृषि की इस पद्धति में पौधे ‘जलÓ और ‘सूर्यÓ की रोशनी से पोषण प्राप्त करते है और उपज देते है। हाइड्रोपोनिक्स में पौधों और चारे वाली फसलों को नियंत्रित परिस्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस ताप पर लगभग 80 से 85 प्रतिशत आर्द्रता में उगाया जाता है।
सामान्यतया पेड-पौधे अपने आवश्यक पोषक तत्व भूमि से लेते हैं। परंतु हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए पौधों में एक विशेष प्रकार का घोल डाला जाता है। इस घोल में पौधों की पैदावार के लिए आवश्यक खनिज एवं पोषक तत्व मिलाएं जाते है। पानी, कंकड़ों या बालू आदि में उगाए जाने वाले पौधों में इस घोल की महीने में एक दो बार केवल कुछ बूंदे ही डाली जाती हैं। इस घोल में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक और आयरन आदि तत्वों को एक विशेष अनुपात में मिलाया जाता है। इसमें पोषक तत्वों व ऑक्सीजन को पौधे की जड़ों तक पहुंचाने के लिए एक पतली नली या पम्पिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक सब्जी उत्पादन का लाभ-
– मिट्टी की कोई आवश्यकता नहीं है।
– केवल घुलनशील उर्वरकों का उपयोग किया जाता है।
– सभी पौष्टिक पौधों को पानी में मिला दिया जाता है और वे हर दिन पौधों को आपूर्ति करते हैं।
– हाइड्रोपोनिक रूप से निर्मित सब्जियां उच्च गुणवत्ता की होती हैं और थोड़ी धुलाई/सफाई की आवश्यकता होती है।
– मृदा की तैयारी और निराई-गुड़ाई कम या समाप्त हो जाती है।
– छोटे क्षेत्र में सब्जियों की बहुत अधिक पैदावार पैदा करना संभव है क्योंकि पौधे की वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाता है।
– पानी कुशलता से उपयोग किया जाता है।
– अप्रयुक्त पोषक तत्वों के साथ मिट्टी का प्रदूषण बहुत कम है।
– पौधों को स्वचालित रूप से सिंचित किया जाता है।
– मिट्टी से उत्पन्न बीमारियों का सफाया किया जा सकता है।
– हाइड्रोपोनिक उत्पादन कार्बनिक नहीं है क्योंकि कृत्रिम पोषक तत्व हमेशा उपयोग किए जाते हैं और आमतौर पर पौधों को मिट्टी में विकसित नहीं किया जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स खेती से होने वाले लाभ-
1. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से उस जगह भी पौधे उगाएं जा सकते हैं, जहां मिट्टी की कमी के साथ ज़मीन की भी कमी पायी जाती है।
2. अगर आप कम खर्च में अपने घर में ही बाग़वानी करने के शौक को पूरा करना चाहते हैं तो आप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से बेहद कम खर्चे में पेड़-पौधे और सब्जियां उगा सकते हैं।
3. आपको पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक घोल की बूदों की जरूरत 1 महीने में 2 से 3 बार ही होती है। इसके लिए आपको बाजार में उपलब्ध महंगे खनिज पदार्थ की जरूरत नहीं पड़ती है, जिससे आपके पैसों की भी बचत होती है।
4. इस तकनीक में रासायनिक पदार्थों की बहुत ही कम मात्रा उपयोग में ली जाती है, इससे पर्यावरण में प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रण में किया जा सकता है।
5. हाइड्रोपोनिक्स से आप अगर अनाज को बोना चाहते हैं तो यह तकनीक आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। इससे आप गेहूं और अनाज जैसे पौधे 7 से 8 दिन में तैयार कर सकते हैं, जबकि सामान्यत: इनके पौधों को तैयार होने में 28 से 30 दिन लगते हैं।
इस तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पौधे की जड़ों को क्ले पैलेट, पीट मॉस वर्मीक्यूलिट, रॉक वूल द्वारा सपोर्ट दिया जाता है, जो पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करते हैं, और पौधे को स्थिर बेस प्रदान करता है। जरूरत है तो बस पौधों को पोषक तत्वों से भरपूर पानी के घोल के सीधे संपर्क में लाने की।
उन्होंने बताया कि हाइड्रोपोनिक्स द्वारा पौधों को उगा के बेच सकते हैं एवं इस तकनीक को अपनी अतिरिक्त आय का साधन भी बना सकते हैं। यह तकनीक उद्योग में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधों को उगाने के लिए किसी भी प्रकार के विशेष कौशल की मांग नहीं करती। इसके अलावा, इस तकनीक द्वारा पौधे उगाने में कोई भारी पूंजी की आवश्यकता भी नहीं होती। इस तकनीक को अपना कर, आप कम स्थान का उचित उपयोग कर अधिक उत्पादन कर सकते हैं। कृषि उद्योग के लिए हाइड्रोपोनिक्स एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
