धीरज रखने में भला, होता नहीं बवाल ।
उकसाता कोई अगर, होती उसकी चाल ।।
(2)
दूरी हैं उनसे भली , जिनके खोटे काम ।
किया नहीं पर हो गए , कुसंग से बदनाम ।।
(3)
सम्मुख मीठा बोलकर , छिपकर करता घात ।
वो दुश्मन से भी बुरा , मत रहना तुम साथ ।।
(4)
कड़वे वचनों से कभी, मत होना नाराज़ ।
जो होती कड़वी दवा , वो ही करती काज ।।
(5)
नहीं मान की कामना , नहीं बड़ा उपहार ।
देना है तो दीजिए , बस दो मुट्ठी प्यार ।।
– *नटवर पारीक*, डीडवाना