समय बदल रहा है

अंबिका हेडा
रिश्ते बिखर रहे है अपने बिछुड़ रहे है
जीवन की आपाधापी में हम तुम उलझ रहे है

ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है

भोजन की ख़ुशबू से जो रसोई की ओर खिंचे चले आते थे …
वो होटल ,रेस्टोंरेंट की ओर आकर्षित हो है
माँ की ममता के मायने बदल रहे है
बच्चे समय से पहले समझदार हो रहे है
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है ……

छुट्टी के दिन घंटो भाई बहनो के संग
साँप सीढ़ी ,लूढो, क्रिकेट में बिताते थे
संग आज भी है पर दोर पबजी के चल रहे है
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है ……

पिता की आँखों का डर
मम्मी की डाँट का असर कहीं फ़ूर हो गए है
आँखों में आँखें डाल बच्चे खड़े हो रहे है
सभ्यता संस्कृति कही लुप्त हो रहे है
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है

पूजा पाठ के मक़सद बदल रहे है
त्योहार भी दिखावे का रूप बदल रहे है
सेल्फ़ी के लिए सर अनेकों झुक रहे है
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है ……

शादियों में रीति रिवाज ना दिख रहे है
परम्पराओं के नाम रूढ़िवादी ख़यालात में बदल गए है ….
पवित्र बंधन की रस्मों की जगह
बेचलर पार्टी ,पजामा पार्टी की ओर हम चल है ……
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है ……

बदलना ज़रूरी है संग चलने के लिए
इसलिए समझदार भी मौन हो गए है
साथ खड़े बस हाँ में हाँ भर रहे है
ज्यूँ ज्यूँ आगे बढ़ रहे है वो दूर हो रहे है
ज़िन्दगी जीने के नज़रिये बदल रहे है ….🙏

अम्बिका हेड़ा

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