राज्यसभा में सोमवार को विपक्षी पार्टियों ने वॉलमार्ट को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया, जिसके बाद राज्यसभा को दूसरी बार स्थगित कर दिया गया। विपक्ष एफडीआइ को लागू करने के लिए वालमार्ट का सरकार पर दबाव बता रहा है। भारतीय जनता पार्टी के रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि वालमार्ट द्वारा लॉबिंग के लिए दिया गया पैसा आखिर किन्हें दिया गया। गौरतलब है कि वॉलमार्ट द्वारा अमेरिकी सीनेट को सौंपे गए अपने लॉबिंग संबंधी दस्तावेज में यह जानकारी दी है।
सदन शुरू होने के साथ ही रविशंकर प्रसाद ने सरकार को कहा कि लॉबिंग भारत में गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार की रिश्वत है। उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने केंद्र से पूछा कि सरकार इसका जवाब दे कि वालमार्ट ने जो पैसा लॉबिंग पर खर्च किया वह आखिर किसे मिला। इसके जवाब में सपा सांसद मोहन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का कोई सदस्य इस लॉबिंग में शामिल नहीं हो सकता है, क्योंकि कोई सांसद अंग्रेजी नहीं जानता है।
गौरतलब है कि वॉलमार्ट द्वारा अमेरिकी सीनेट को सौंपे गए अपने लॉबिंग संबंधी दस्तावेज में यह जानकारी दी है कि खुदरा क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने भारत आने का रास्ता तैयार करने के लिए लॉबिंग पर मोटी रकम खर्च की है। यह रकम उसने अमेरिकी सासदों का समर्थन जुटाने के लिए दी है। इस मामले के अलावा कई अन्य मसलों की लॉबिंग पर कंपनी ने वर्ष 2008 से अब तक कुल करीब 125 करोड़ रुपये [25 करोड़ डॉलर] की राशि खर्च की गई।
वर्ष 2012 में 30 सितंबर तक कंपनी ने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] सहित विभिन्न मसलों पर विचार-विमर्श के लिए 18 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इनमें से 10 करोड़ रुपये सिर्फ जुलाई-सितंबर तिमाही में ही खर्च किए गए हैं। इसी तिमाही में 14 सितंबर को भारत सरकार ने मल्टी ब्राड रिटेल में 51 फीसद एफडीआइ को मंजूरी दी थी। विपक्ष एफडीआई को लेकर बार बार सरकार को कटघरे में खड़ा करता रहा है। विपक्ष एफडीआइ को भारत के लिए खतरा बताकर इसको गुजरात चुनाव में भुनाने से भी परहेज नहीं कर रहा है।