कांग्रेस नेता शैलेन्द्र अग्रवाल ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि आम आदमी पहले ही कोरोना लोकडाउन, बेतहाशा बढ़ती महंगाई, एवं बिगड़ती अर्थव्यवस्था से परेशान है उसके बावजूद निजी विद्यालय बच्चों व उनके अभिभावकों पर जबरन महंगी किताबें खरीदने के लिए बोझ डाल रहे हैं। अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि एनसीईआरटी की किताबों के बजाय निजी पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित किताबें खरीदने पर अभिभावकों को 10 गुना तक अधिक राशि देनी पड़ेगी क्योंकि उसमें निजी विद्यालयों का मोटा कमीशन बंधा हुआ होता है। जबकि उन किताबों में अमूमन एनसीईआरटी की किताबों का पाठ्यक्रम ही होता है।
अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि जब सरकारी सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें काम में ली जाती है तो फिर निजी विद्यालयों मैं क्यों नही ली जा सकती?
शैलेन्द्र अग्रवाल ने पत्र में मांग की है कि निजी विद्यालयों द्वारा बच्चों व उनके अभिभावकों को मैसेज भेजकर महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए तथा ऐसे विद्यालयों के खिलाफ कार्यवाही भी की जाए ताकि पहले ही आर्थिक संकट झेल रहे अभिभावकों को राहत मिल सके।