अराजपत्रित कर्मचारियो को आयकर से मुक्त रखा जावें -परिषद

संगठित श्रेत्र के कर्मचारियो को राहत की मांग
राजस्थान मंत्रालयिक कर्मचारी परिषद के प्रदेष अध्यक्ष अनूप सक्सैना ने कोविड-19 के चलते लाॅक डाउन 4.0 में देष की आर्थिक स्थिति को बूस्टअप करने हेतु 20 लाख करोड के मा0 प्रधानमंत्री जी के प्रावधान को संजीवनी बताया ।
परिषद के प्रदेष महामंत्री रणधीर सिंह कच्छावा ने केन्द्रीय वित मंत्री से संक्रमण के चलते इस पैकेज में अराजपत्रित कर्मचारियो को आयकर से मुक्त रखने की मांग की है अराजपत्रित कर्मचारियो का वर्षभर का आयकर लगभग 25 से 50 हजार रूपये है अल्प वेतन भोगी होने से परिवार व सामाजिक निर्वह्न की जिम्मेदारी के चलते आयकर कोढ में खाज का काम करता है कच्छावा ने बताया कि मा0 प्रधान मंत्री जी के लोकल से वोकल के मंत्र में यह राषि बाजार में अपनी आवष्यकता पूर्ती हेतु व्यय होने से स्वदेषी को भी बल मिलेगा वही अप्रत्यक्ष रूप से कर से राजस्व की भी प्राप्ति होगी ।
परिषद के प्रदेष कार्यकारी अध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने बताया कि प्रति वर्ष आम बजट से पूर्व संगठन यह मांग करता रहा है कि अराजपत्रित कर्मचारियो को आयकर से मुक्त रखा जावें वर्तमान में अल्प वेतनभोगी राष्ट्रभक्त कर्मचारियो को उन्हे राहत देना आवष्यक है राज्य व केन्द्र के कर्मचारियो में वेतन असमानता के चलते राज्य कर्मचारियो का वेतन भी कम है ।
इस संक्रमण काल में राजस्थान सरकार द्वारा कर्मचारियो का 30 से 50 प्र्रतिषत वेतन स्थगन व सहायता कोष मे 1 से 5 दिवस का वेतन भी काटा गया है जिससे कर्मचारियो की माली हालत खराब है अतः राज्य सरकार बकाया स्थगित वेतन भुगतान के आदेष जारी करें।

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