ABVP अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिर्फ छात्रसंघ चुनाव के लिए कार्य नहीं करती, बल्कि छात्र हितों के लिए कार्य करती हैं
पूर्व में विभिन्न कारणों से कई राज्यों में कक्षाओं में प्रोन्नति (Pramot) का कार्य किया गया है।
लेकिन उससे विद्यार्थियों की अंक तालिकाओं में प्रोन्नति लिखने व अंक ना देने से वह अंक तालिकाएं सिर्फ सामान्य कागज हो गई,जिससे उन सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षाओं व रोजगार के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था विधि संकाय मे तो वकालत की सनद मे भी समस्या आ सकती है
अभाविप यह नहीं चाहता कि आज के थोड़े से लाभ के कारण भविष्य में विद्यार्थियों को मानसिक अवसाद और तनाव की स्थिति से गुजरना पड़े।
संगठन ने दूरदर्शिता के साथ विद्यार्थी हितों का ध्यान रखते हुए यह निर्णय लिया है जिसके लिए संगठन ने कुलपति से बैठक करके भी विस्तृत चर्चा की यह निर्णय लेने से पूर्व संगठन ने कई जानकारो से इस विषय की पूर्ण जानकारी ली
सामान्य प्रोन्नति की अपेक्षा
ओपन बुक्स एग्जाम इन हाऊस, बहुविकल्पी प्रश्न, रिपोर्ट तैयार करना,ऑनलाइन परीक्षा सहित सतत विद्यार्थी मूल्यांकन जैसी परीक्षा पद्धति को अपनाना चाहिए।
अभाविप का परीक्षा के सन्दर्भ में स्पष्ट मत है कि ऐसा कोई विकल्प का चयन नहीं करना चाहिए जिससे भविष्य में किसी छात्र का अहित हो उसे अपने भविष्य की चिंता में मानसिक तनाव और अवसाद का सामना ना करना पड़े।
सरकार और विश्वविद्यालय मांग है प्रशासन शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करें वीडियो कांफ्रेस द्वारा चर्चा में पूर्व छत्रसंघ अध्य्क्ष रचित कच्छावा महासचिव दीपक सेन इकाई संरक्षक बलराम हरलानी इकाई अध्य्क्ष दिनेश चौधरी वीरेंद्र प्रजापति सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहें ।
*दिनेश चौधरी*
*इकाई अध्यक्ष*
*अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद*
*राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर*