जीरो एकेडमिक ईयर घोषित हो 2020-2021

अजमेर 8जून/ अग्रवाल समाज अजमेर के प्रमुख समाजसेवी द्वारका अग्रवाल ने शैक्षणिक दृष्टि से वर्ष 2020-21 को जीरो एकेडमिक ईयर घोषित करने की मांग की है। अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में कोरोना वैश्विक महामारी के चलते बहुत सारे माता पिता को अपने बच्चों की स्कूल जाने को लेकर गहरी चिंता है उनको लगता है की इस माहौल में बच्चे कैसे सुरक्षित रह पाएंगे जिस तरह से अभी देश में यह महामारी फैल रही है और लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है ऐसा लगता है की जून अंत तक भारत में लगभग 6 से 8 लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं हालांकि एक अच्छी बात यह भी है कि देश में रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ रहा है जो कि पिछले एक माह के 20% से बढ़कर अभी लगभग 50% के आसपास हो गया है और हो सकता है जून तक यह रेट बढ़ कर 70% तक हो जाए परंतु जब तक इस महामारी की कोई वैक्सीन या प्रॉपर दवा नहीं आ जाती हर माता-पिता के मन में यह डर भय बने रहना स्वभाविक है। भारत में 0 से लेकर 14 साल तक के आयु वर्ग की जनसंख्या कुल जनसंख्या की लगभग 32% है और 3 से 14 वर्ष की आयु की जनसंख्या लगभग 28% है यह बच्चे प्रीस्कूल से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे होते हैं लगभग लगभग 50% बच्चों में वर्ष में 5 से लेकर 10 बार तक सर्दी खांसी जुकाम बुखार वायरल आदि के इंफेक्शन का खतरा रहता है जोकि इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण है आज अगर सरकार स्कूल खोलती है तो सबसे बड़ी समस्या सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कराने की होगी कारण स्कूल बस हो या स्कूल वैन या फिर कोई ऑटो जिस भी साधन से बच्चे स्कूल पहुंचते हैं उनमें क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जाते हैं और किसी भी सूरत में सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है इसी प्रकार बच्चे स्कूल में भी अपना लंच ,पानी, बूक्स आदि सभी एक दूसरे के साथ साझा करते हैं और हर क्लास में बच्चों के बैठने की पर्याप्त जगह भी नहीं होती। दूसरे देशों में जहां स्कूल शुरू हुए हैं वहां पर बच्चों को पूरी सुरक्षा जैसे कि पीपीइ किट, मास्क, सैनिटाइजर और प्रॉपर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बुलाया जाता है लेकिन हमारे देश में इतना सब संभव नहीं है ईरान में स्कूल खुलने के 2 हफ्ते के अंदर ही लगभग 200 से अधिक बच्चे संक्रमित पाए गए और लगभग 44 का स्टाफ भी संक्रमित पाया गया जिसकी वजह से वहां की सरकार को पुन: स्कूल बंद करने पड़े इन हालातों को देखते हुए बच्चे इस समय कोरोना के बहुत बड़े स्प्रेडर साबित हो सकते हैं हमें हमारे आने वाले कल को सहेजना है एवं सुरक्षित भी रखना है इसके चलते सरकार को चाहिए कि वह वर्ष 2020- 21 को 0 एकेडमिक ईयर घोषित करें व बच्चों को अगले वर्ष अगली क्लास में प्रमोट करके नया सेशन शुरू करें वही कक्षा ९ से लेकर 12वीं तक के बच्चों को 50% उपस्थिति के साथ एक दिन छोड़कर एक दिन स्कूल बुलाया जाए और इस वर्ष उनका कोर्स 25 से लेकर 40% तक कम किया जा सकता है तथा दसवीं की परीक्षा बोर्ड द्वारा न करवाकर, स्कूल एसेसमेंट पर ही उसको अगले वर्ष के लिए प्रमोद किया जा सकता है भारत में ऐसा पहले भी हो चुका है वर्ष 1966 में दिल्ली में हड़ताल की वजह से जीरो एकेडमिक ईयर घोषित करके उस वर्ष परीक्षा नहीं ली गई थी और सभी को अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया गया था मेरा मानना है की सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और वर्ष 2020 21 को छोटे बच्चों के लिए जीरो एकेडमिक ईयर घोषित कर देना चाहिए।

द्वारका अग्रवाल
सामाजिक कार्यकर्ता
9414007432

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