देवनानी ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि जब कांग्रेस सरकार ने लाखों विद्यार्थियों की बोर्ड परिक्षाएं आयोजित करवाई तथा आगे भी 31 अगस्त को 6 लाख विद्यार्थियों की बीएसटीसी में प्रवेश हेतु डीएलएड परीक्षा का आयोजन कराने जा रही है तब कोरोना का खतरा नजर नहीं आ रहा जबकि नीट व जेईई की आॅनलाईन होने वाली परीक्षा में तो इतने विद्यार्थी प्रदेश में शामिल भी नहीं होने वाले है।
उन्होंने कहा कि देश के शिक्षाविदों का भी मत है कि इंजीनियरिंग व मेडिकल संस्थाओं में प्रवेश के लिए 2 वर्ष से तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन परीक्षाओं का आयोजन होना चाहिए जिससे विद्यार्थियों का एक साल खराब ना हो। दोनों परिक्षाओं के संयोजकों ने भी संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक सावधानियां बरतते हुए सारी तैयारियां कर ली है जिन पर 15-20 करोड का बजट खर्च हो रहा है।
देवनानी ने कहा कि विद्यार्थियों के हित व उनके भविष्य की अनदेखी कर कांग्रेस तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की जा रही राजनीति बेहद निंदनीय है। इन परिक्षाओं के लिए लम्बे समय से कड़ी मेहनत व तैयारी कर रहे है विद्यार्थी व उनके अभिभावक परीक्षाओं के अयोजन में अब तक हुए विलम्ब को लेकर पहले से ही तनाव में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ना तो विद्यार्थियों की मनोदशा समझ में आ रही है और ना ही उनके भविष्य को लेकर कोई चिन्ता महसूस हो रही है। उन्हें तो बस मोदी जी की व्यवस्थाओं का विरोध करने से मतलब है तथा इसीलिए परीक्षा की खिलाफत व सुप्रीम कोर्ट जाने की बातें की जा रही है।