शहर चाहे गाँव हो ।
मन तभी लगेगा जब,
सुकून भरी छाँव हो ।
खेत हो या झोपड़ी ,
या कोई महल बड़ा ।
मन तभी लगेगा जब,
प्रेम का अलाव हो ।
आँधियों का दौर है ,
साख़ से बंधे रहें ।
मन तभी लगेगा जब,
अपनों से जुड़ाव हो ।
ठान ले सारे अभी ,
एक हो जाएं सभी ।
मन तभी लगेगा जब,
एकता के भाव हो ।
– *नटवर पारीक*,डीडवाना