रामलीलाओं में फुलझडियां !

शिव शंकर गोयल
बताते है कि दिल्ली से लेकर मुंबई और चंडीगढ से लेकर कोलकता तक की मशहूर रामलीलाओं में, पिछले वर्ष तक अधिकांश में मुरादाबाद के कलाकार और छोटे शहरों, कस्बों-गांवों आदि की रामलीलाओं में स्थानीय कलाकार, व्यवसायी आदि भाग लेते रहे है. कभी 2 इन लीलाओं में नाटकीय घटनाएं होती रहती है. आइये, कुछ घटनाओं का आनंद लेते है.
रावण जहां कही हो मंच के पीछे आजाय,उसकी चाय ठंडी होरही है

मैं तो बालजी हलवाई हूं !
वर्षों पहले की बात है. अजमेर में नया बाजार घास कटले में रामलीला हो रही थी. उस रोज, हनुमानजी को रावण के दरबार में पेश होना था. संयोग की बात, अचानक हनुमान बनने वाला नियमित पात्र बीमार पड गया. हडबडी में आयोजकों ने स्थानीय अच्छे कद-काठी वाले बालजी हलवाई को हनुमान बनने के लिए किसी तरह तैयार किया.
लीला के दौरान मेघनाथ, ब्रह्मास्त्र से बांधकर, हनुमानजी को लेकर रावण के दरबार में पहुंचा. जब रावण ने रौबीली आवाज में हनुमान बने पात्र से पूछा कि तुम कौन हो ? तो दर्शकों की अपार भीड को देखकर वह घबरा गया किसी तरह धीरे से बुदबुदाया कि मैं तो बालजी हलवाई हूं.
रावण ने मंच पर मरने से इंकार कर दिया

यह घटना आगरे की रामलीला की है. रावण का किरदार करने वाले राजू को एक्टिंग करने में मजा आरहा था. लीला में राम-रावण युध्द के दृश्य को आयोजकों के ईशारों के बावजूद उसने खत्म करने से इंकार कर दिया. बार बार दबाव डेले जाने परउसने झुंझला कर ऐलान कर दिया कि अब वह नही मरेगा. शोरगुल के बीच आखिर पुलीस के हस्तक्षेप से मामले को निपटाया गया.
सरकार द्वारा कैदियों के नैतिक उत्थानके लिए कुछ करने बाबात बार बार लिखे जाने पर उस साल सैन्ट्रल जेल में दशहरे के अवसर पर कैदी पात्रों द्वारा ही रामलीला का आयोजन रखा गया.
एक रोज लीला में हनुमान बने पात्र को संजीवनी बूटी लेने जाना था. इसके लिए यह तय किया गया कि हनुमानजी जेल की बाउंड्री से सटे पेड पर चढेगें और वही से दीवार के सहारे 2 वापस लौटेगें. बताते है कि उस रोज के बाद फिर हनुमानजी आज तक बूटी लेकर वापस नही लौटें
जब लीला छोड कर राम-लक्षमण धरने पर बैठ गए
सन 2018 में बनारस के धनेसरा तालाबके पास ऐतिहासिक लाट भैंरो रामलीला के पास दर्शक एकत्र हुए थे. वहां राम-केवट संवाद का मंचन होना था लेकिन उन्होंने देखा कि सारे पात्र अपने 2 कास्ट्यूम पहने तालाब के आस-पास की गंदगी हटाने के लिए धरने पर बैठे हुए है.

नाम संतराम और जीवन भर रावण का किरदार
छत्तीस गढ के बलौदाबाजार में 69 वर्षीय संतराम पिछले 48 सालों से रावण का किरदार निभा रहे है.

राम-लक्षमण ने की हडताल
एक बार बाडमेर के आदर्श स्टेडियम में रावण दहन का आयोजन किया गया. ऐन वक्त पर राम-लक्षमण और हनुमान हडताल पर ले गए. उन्होंने रावण वध करने से मना कर दिया. पूछने पर पता लगा कि पिछले साल के अनुदान का अभी तक भुगतान नही हुआ है.

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