केकड़ी 15 जनवरी(पवन राठी)। यहां बघेरा रोड स्थित दादाबाड़ी परिसर में शुक्रवार को नवीन मंदिर निर्माण कार्य का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया गया। प्रवचन प्रभाविका साध्वी शुभदर्शना, साध्वी डॉ. समकित प्रज्ञा एवं साध्वी स्वस्ति प्रज्ञा की पावन निश्रा में इन्दौर से आए सुप्रसिद्ध विधिकारक अरविन्द कुमार चौरडिय़ा ने एक मुख्य शिला एवं आठ कुर्म शिलाओं का शुद्धिकरण किया। सुबह स्नात्र पूजा के बाद भूमि पूजन की क्रियाएं हुई। दोपहर बाद शुभ मुहुर्त में लाभार्थी परिवार ने विधि-विधान के साथ मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया। इस दौरान दादाबाड़ी परिसर जयकारों से गूंज उठा। शिलान्यास से पहले भव्य जुलूस निकाला गया। जो दादाबाड़ी से शिलान्यास स्थल पहुंच कर सम्पन्न हुआ। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंघवी ने बताया कि दादाबाड़ी परिसर में प्रस्तावित शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान के मंदिर में मूलनायक शंखेश्वर पाश्र्वनाथ की प्रतिमा के अलावा मुनिसुव्रत स्वामी, महावीर स्वामी, माता पद्मावती एवं नाकोड़ा भैरव देव की प्रतिमाएं स्थापित की जाएगी। मंदिर के लिए शीतल कुमार अनमोल कुमार कटारिया एवं ताराचन्द, लाभचन्द, दीपक, अमित, सुमित व मोहित धूपिया परिवार ने भूमि प्रदान की है। शिलान्यास समारोह में प्रवचन करते हुए साध्वी शुभदर्शना ने कहा कि मंदिर निर्माण में जिसका जितना पुरुषार्थ होगा, उसे गुरु का आशीष भी उतना ही मिलेगा। व्यक्ति के प्रबल पुण्योदय से ही यश एवं कीर्ति की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति जैन धर्म को समझ जाता है वहीं मोक्ष मार्ग को प्राप्त करने का रास्ता जान पाता है। वीतरागता प्राप्त करने के लिए मानव को अपने जीवन में एक बार गुरू चरणों में अवश्य जाना पड़ता है। जिस प्रकार मंदिर पर लगी ध्वजा चारों तरफ घूमती रहती है, उसी प्रकार सम्यक दर्शन भी चारों तरफ घूमता है, लेकिन व्यक्ति इसे आस-पास होने के बावजूद पहचान नहीं पाता। प्रत्येक व्यक्ति को सम्यक दर्शन की प्राप्ति हो चुकी है लेकिन वह उसका उपयोग नहीं करता, ऐसे में सम्यक दर्शन होने के बावजूद व्यक्ति कोरा-कोरा ही रह जाता है। शुरुआत में समाज के लोगों ने भूमि पूजन एवं शिलान्यास के लाभार्थियों तथा बाहर से पधारे अतिथियों का बहुमान किया। साक्षी जैन ने साध्वी शुभदर्शना के ४० वें संयम दीक्षा दिवस पर विचार व्यक्त किए। जितेन्द्र सिंघवी ने मंदिर निर्माण की रूपरेखा के बारे में बताया। प्रो. ज्ञानचन्द सुराणा ने साध्वी शुभदर्शना के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। समारोह में केकड़ी, जयपुर, किशनगढ़, सरवाड़, सावर, सदारा, कादेड़ा, फूलियाकलां, बोराड़ा, बिजयनगर, मेहरूकलां सहित विभिन्न स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। संचालन प्रो. ज्ञानचन्द सुराणा ने किया। समारोह के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन हुआ। संघ के नीरज जैन ने बताया कि मुख्य शिला का लाभ ताराचन्द, लाभचन्द, दीपक, अमित धूपिया परिवार ने लिया। शांतिलाल महावीर तातेड़ ने प्रथम कुर्म शिला, दीपक कुमार मोहित कुमार तातेड़ ने द्वितीय कुर्म शिला, महेन्द्र कुमार, राजेन्द्र कुमार, सुरेन्द्र कुमार धूपिया ने तृतीय कुर्म शिला, शोभागसिंह विनोद कुमार धूपिया ने चतुर्थ कुर्म शिला, विजय कुमार अशोक कुमार ने पंचम कुर्म शिला, सुखराज अभिषेक तातेड़ ने षष्टम कुर्म शिला, प्रेमचन्द दिलीप कुमार अजय कुमार राकेश कुमार धूपिया ने सप्तम कुर्म शिला एवं ज्ञानचन्द मुकेश कुमार राजेश कुमार धूपिया ने अष्ठम कुर्म शिला का लाभ लिया।
