केकड़ी 26 फरवरी (पवन राठी)
शुद्धि से विशुद्धि और विशुद्धि से सिद्धि की प्राप्ति होती है जैसे दूध में जामन डालने पर दही व मथने पर मक्खन निकलता है वैसे ही हमें भक्ति रूपी रस में धर्म अनुराग का चिंतन करना जरूरी है, साधु संतों को विहार करना पड़ता है जैसे पानी एक जगह एकत्रित न होकर बहता रहने पर स्वच्छ व निर्मल रहता है उसी प्रकार साधु का विहार होने से सभी को धर्म रूपी मार्ग पर चलने का संदेश मिलता है उक्त विचार बौहरा कॉलोनी स्थित श्री नेमीनाथ मंदिर में अल्प प्रवास के दौरान विराजित आर्यिका कमल श्री माताजी एवं श्रुतिका श्री माताजी ने अपने विहार के समय श्रोताओ के सम्मुख प्रकट किए।
इसके पश्चात उन्होंने लावा की तरफ विहार किया।
