विशेषज्ञ चिकित्सक व अत्याधुनिक संसाधनों की उपलब्धता आवश्यक: देवनानी

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर/अजमेर 10 मार्च।
पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि बढती आबादी के साथ ही नित नए रूपों में सामने आ रही बीमारियों से मुकाबला करने के लिए हमें विशेषज्ञ चिकित्सकों, दक्ष पैरामेडिकल स्टाफ व अत्याधुनिक चिकित्सीय संसाधनों की व्यवस्था तथा कार्य का वातावरण तैयार करने की आवश्यकता है। इसके लिए मेडिकल विशेषज्ञ, प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को मिलाकर एक कमेटी का गठन करने की आवश्यकता है जो मेडिकल से जुडी व्यवस्थाओं पर चिंतन कर प्रदेश में बेहतर व्यवस्थाएं उपलब्ध करा सके। देवनानी ने यह बात बुधवार को विधानसभा में चिकित्सा शिक्षा की मांग पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कही।
उन्होंने कहा कि आज सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के बडी संख्या में पद रिक्त पडे हैं। आरपीएससी से चयन होने के बाद भी चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में कार्यग्रहण नहीं करते। सरकारी अस्पतालों में किस प्रकार चिकित्सकों की उपलब्धता हो सके आज इस पर विचार करने की आवश्यकता है। सरकारी अस्पतालों में निजी की तुलना में वेतन कम मिलता है, समयबद्ध पदौन्नतियां नहीं होती, आधुनिक उपकरण नहीं है, काम का वातावरण नहीं है। सरकार को इन सब पर ध्यान देना चाहिए। सरकारी अस्पतालो में कार्यरत चिकित्सकों को निजी अस्पतालों की भांति आकर्षक वेतन, सुविधाएं देने के लिए उनका नया कैडर बनाने पर विचार करना चाहिए।
देवनानी ने कहा कि मेडिकल काॅलेजों में केवल सीटे बढाई जा रही है लेकिन उसके अनुरूप सुविधाएं बढाने की चिंता नहीं हो रही। प्रदेश के मेडिकल काॅलेजों में बडी संख्या में चिकित्सा शिक्षकों के पद रिक्त पडे हैं। अजमेर के जेएलएन मेडिकल काॅलेज की बात करे तो यहां पर आचार्य के 46 में से 31, सहायक आचार्य के 128 में से 61, सह आचार्य के 73 में से 44 पद रिक्त है। इसके अलावा सिनीयर रेजीडेंट के 92 में से 49 व नर्सिंग अधीक्षक के 28 में से 27 पद रिक्त है। जयपुर के एसएमएस को छोड़कर कमोबेश एसे ही हालात प्रदेश के अन्य मेडिकल काॅलेजों के है।
उन्होंने अस्पतालों में ट्रोमा सेंटर की महती जरूरत बताते हुए कहा कि आर्थोपेडिक के बाद सबसे ज्यादा जरूरत न्यूरोसर्जरी की होती है परन्तु नये ट्रोमा संेटर की तो छोड़ो जहां पर वर्तमान में सेंटर संचालित है वहां भी न्यूरों सर्जन नहीं है। राज्य में न्यूरोसर्जरी के मात्र 8 प्रोफेसर, 11 एसोसिएट व 22 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद स्वीकृत है जिनमें से भी कई पद रिक्त पड़े है। कार्डियो सर्जरी मंे भी प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के मात्र 77 पद व असिस्टेंट के 19 पद स्वीकृत है। वर्तमान में केंसर रोग के मरीज बढ़ते जा रहे है परन्तु प्रदेश में मेडिकल आंेकोलाॅजी के मात्र 6 व सर्जिकल के मात्र 5 पद स्वीकृत है। सरकारी अस्पतालों में सिर्फ रेडियोथेरेपी के भरौसे कैंसर का ईलाज किया जा रहा है तो आखिरकार मरीज प्राईवेट अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर हो रहे है। इसी प्रकार नेफ्रोलाॅजी के प्रदेश में कुल 19 पद सृजित है जिनमें आधे खाली है।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए देवनानी ने कहा कि राज्य स्तरीय अस्पताल में पर्याप्त बेड की व्यवस्था तक नहीं है। वर्तमान में भी जब कोरोना संक्रमण का खतरा व्याप्त है तब भी मरीजों को जमीन पर लेटाकर ईलाज दिया जा रहा है। जिन वार्डो की क्षमता ही 40 मरीज रखने की है वहां पर 100 से 125 तक मरीज भर्ती है। एसएमएस के साथ ही अजमेर के जेएलएन व प्रदेश के अन्य मेडिकल काॅलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में सफाई व्यवस्था के बुरे हाल है। अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत के कारण पूरे सफाई कर्मचारी कार्य ही नहीं करते है वरना वहां पर भी निजी अस्पतालों की भांति सफाई रखी जा सकती है। गार्डो की व्यवस्था में भी अस्पताल प्रशासन की अनदेखी रहती है। कोविड के ईलाज के दौरान प्राईवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों को मनमाने तरीके से लूटा गया परन्तु सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। जबकि उन अस्पतालों को सरकार ने रियायती दर पर जमीने आंवटित की थी। सरकार चाहती तो एसे अस्पतालों को टेक आवॅर भी कर सकती थी।
अजमेर का जेएलएन अस्पताल दुर्दशा का शिकार:
देवनानी ने अजमेर के जेएलएन अस्पताल की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि चिकित्सा मंत्री अजमेर जिले से आते है लेकिन इन्हांेने पूरा ध्यान केकड़ी पर केन्द्रित कर रखा है। स्मार्ट सिटी योजना में कराये जा रहे कामों को छोड दे तो जेएलएन में कोई सुधार नहीं हुआ है। भाजपा सरकार द्वारा आपातकालीन यूनिट का सम्पूर्ण रिनोवेशन करवाया गया। लगभग डेढ वर्ष से संचालित आपातकालीन यूनिट में एक्स-रे व सोनोग्राफी तक की सुविधा नहीं है। अस्पताल प्रशासन की अकर्मण्यता व लापरवाही के कारण 4-4 बेड साईड एक्स-रे व सोनोग्राफी मशीने उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही है।
उन्होंने कहा कि अजमेर सहित प्रदेश के अस्पतालों में आपातकालीन यूनिट में दिन के 2 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई सिनियर डाॅक्टर नहीं मिलता। गंभीर रूप से घायल मरीज तक रेजीडेंट चिकित्सक के भरौसे रहते है। उन्होंने सरकार से मांग करी कि आपातकालीन इकाईयों में रोटेशन के आधार पर वरिष्ठ चिकित्कों की ड्यूटी सुनिश्चित कराई जाए।
उन्होंने जेएलएन के मुख्य भवन में संचालित लाईफ लाईन मेडिकल स्टोर के 4 माह से बंद होने का विषय उठाते हुए कहा कि गरीब मरीजों को वाजिब दाम पर दवाईयां मिल सके इसके लिए इसे शीघ्र खुलवाना चाहिए। उन्होंने नेत्र रोग विभाग की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि मरीज टूटे-फूटे पलंगों पर लेटने के लिए मजबूर है जबकि अस्पताल में नये पलंग उपलब्ध है।
जेएलएन का कार्डियोलाॅजी विभाग चिकित्सकों के लिए तरस रहा है। कैथ लेब का उसकी क्षमता से अधिक उपयोग किया जा चुका है तथा सरकार की घोषणा के उपरांत भी नई कैथ लेब नहीं बन सकी जिससे मरीजों की एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी का कार्य प्रभावित हो रहा है। गत भाजपा सरकार के समय यहां पर बाईपास सर्जरी हेतु सेंटर बनाया गया था जिसमें लगाये गये महंगे उपकरण चिकित्सकों के अभाव में धूल चाट रहे है।
अस्पताल की सीटी स्केन मशीन बहुत पुरानी हो चुकी है जो आए दिन खराब हो जाती है लेकिन नई मशीन लगाने की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। एमआरआई पीपीपी मोड पर है जबकि सरकारी स्तर पर प्रारम्भ हो तो गरीब मरीज भी लाभान्वित हो सकते है। अस्पताल में सुपर स्पेशलिटि प्रारम्भ किये जाने की मांग भी देवनानी ने रखी। उन्होने कहा कि कम से कम कार्डियोंलाॅजी, यूरोलाॅजी, न्यूरो व नेफ्रोलाॅजी जैसे विभाग तो तत्काल शुरू किये जाने की आवश्यकता है। सरकार ने कायड में मेडिकल काॅलेज स्थानान्तरित करने की घोषणा की है लेकिन कब तक करेंगे, इसके लिए क्या वित्तीय प्रावधान किये है कुछ पता नहीं है।
देवनानी ने सरकार से अजमेर में योग विश्वविद्यालय खोले जाने की स्वीकृति जारी करने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि योग को अपनाने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा व बीमार कम होगे।
उन्होंने स्वास्थ्य व चिकित्सा व्यवस्था को लेकर सरकार पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार से 240 करोड रूपये का बजट आंवटित हुआ परन्तु राज्य सरकार ने दिसम्बर तक मात्र 100 करोड खर्च किये है। इसी प्रकार पिछले वर्षो में भी देखे तो 2019 में 1151 में 645 करोड रूपये ही व्यय किये गये।
देवनानी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रयासों से प्रत्येक जिला मुख्यालय पर मेडिकल काॅलेज खोलने की योजना है परन्तु वर्तमान में प्रदेश के 7 मेडिकल काॅलेज जो राजमेस द्वारा संचालित है वहां पर 50 प्रतिशत सीटों पर मात्र 55 हजार शुल्क लिया जा रहा है जबकि 35 प्रतिशत पर 7.50 लाख शुल्क लिया जा रहा है जोकि न्यायसंगत नहीं है।
केवल केकडी के होकर रह गए चिकित्सा मंत्री
देवनानी ने चिकित्सा मंत्री पर भी प्रहार किए। देवनानी ने कहा कि अजमेर जिले से माननीय विधायक चिकित्सा मंत्री बने तो उम्मीद जगी कि प्रदेश के साथ अजमेर जिले में भी चिकित्सा व्यवस्थाएं पहले से बेहतर होगी लेकिन चिकित्सा मंत्री का प्रदेश की तो छोडो अजमेर को भी लाभ नहीं मिला। वे केवल केकडी के होकर रह गए।

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