माता अंजना की तपस्या स्थली आंजनेश्वर महादेव

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मेवाड़ की धरती पर पर्वत श्रंखला और वन्य क्षेत्र की सुरम्य घाटियों में कई ऐसे स्थान है , जहां पर आज भी हमारी प्राचीन संस्कृति और विरासत के अवशेष विद्यमान है।
ऐसा ही एक स्थान नेशनल हाईवे नंबर आठ पर स्थित कामलीघाट चौराहे से देवगढ़ मदारिया की तरफ भीलवाड़ा रोड़ पर लगभग 8 किलोमीटर दूर आंजनेश्वर महादेव नामक स्थान पर मौजूद है जहां पर लेकिन प्राचीन गुफा विद्यमान है जिसके संबंध में कहा जाता है कि वह माता अंजना की तपस्या स्थली है ,यहां पर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की अति प्राचीन विरासत आज भी सुरक्षित है । यह स्थान आंजनेश्वर महादेव के नाम से लोगों की आस्था का केंद्र है और ऐसा माना जाता है की सती अंजना ने यहां पर तपस्या की थी और बजरंगबली हनुमान का जन्म भी यहीं पर हुआ । यह स्थान वर्तमान में राजस्थान के राजसमंद जिले के अंतर्गत आता है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 प्रसिद्ध कामलीघाट चौराहे से कोई 8 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा मार्ग पर स्थित है । यह स्थान पर्वतीय चट्टानों से गिरा हुआ कुदरत की गोद में अत्यंत रमणीक स्थान है । यहां की प्राकृतिक संरचनाओं में गुफाएं अवस्थित है , जिनको ऋषि मुनियों द्वारा तपोभूमि के रूप में उपयोग किया जाता था ।
यह क्षेत्र विशाल पर्वताकार चट्टानी संरचनाओं से बनी हुई प्राकृतिक गुफाओं के कारण और कुदरत की हरियाली और प्राकृतिक जल स्त्रोत होने से ऋषि-मुनियों की योग साधना और तपस्या का केंद्र रहा है । गुफा के बाहर गुंबज की बाई ओर चट्टान के ऊपर पीछे जाने का मार्ग है , वहां से चारों ओर का दृश्य बड़ा ही मनोरम दिखाई पड़ता है । इन्हीं चट्टानों के ऊपर पूर्व की ओर एक नुकीली चट्टान सीधी खड़ी दिखाई देती है । करीब 20 फीट ऊंची इस सीधी चट्टान पर पत्थर का एक विशाल त्रिशूल स्थापित है । यह त्रिशूल दूर से ही आंजनेश्वर महादेव की पहचान बता देता है । इस चट्टान के पास ही एक दूसरी चट्टान पर प्राचीन शिलालेख स्थापित है।इन
शिलालेखों पर ब्रह्माजी ,दत्तात्रेय एवं देवगढ़ मदारिया के तत्कालीन शासकों के विषय में जानकारी अंकित है । इसके पूर्व दिशा में एक चट्टान दिखाई पड़ती है । इस श्रृंखला की सबसे ऊंची पर्वतमाला पर सेंड माता का मंदिर बना हुआ है , यहाँ मदारिया की प्राचीन बस्ती होने के कुछ अवशेष आज भी विद्यमान है , यहीं पर महाराणा कुम्भाा के पिता महाराणा मोकल का ससुराल था महाराणा कुंभा का जन्म यहीं अपने ननिहाल में हुआ था । चट्टानों की पीछे से सीढ़ियां उतरकर नीचे पहुंचते हैं ,तो एक ओर गुफा दिखाई पड़ती है , जो सामने से काफी चौड़ी और उंची है , इस गुफा के अंदर साधुओं के निवास के चिन्ह भी आज भी विद्यमान है । गुफा के सामने एक प्राचीन कुंड बना हुआ है ,जिसमें भीषण गर्मी में भी शीतल जल उपलब्ध रहता है । इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि कितना ही बड़ा अकाल हो ,इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और चारों ओर की हरियाली और विशाल चट्टानों से स्थान को रमणीयता प्राप्त हुई है, वह देखते ही बनती है । महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां विशाल मेला लगता है । इसमें लेकर दूर-दूर से लोग देखने आते हैं । मंदिर की लोकप्रियता को देखते हुए आसपास के गांवों के रहने वाले विभिन्न समाजों के लोग अपनी जाति बिरादरी की बैठकें भी यही करते हैं, इसीलिए आंजनेश्वर महादेव का यह स्थान अनेक विशेषताओं के साथ साथ अति प्राचीन काल से मेवाड़ की विरासत को सहेजे हुए आस्था का केंद्र बना हुआ है । ऐसा माना जाता है कि बजरंगबली वीर हनुमान की माता अंजना ने इसी स्थान पर रहकर तपस्या की थी , फल स्वरुप महावीर हनुमान का जन्म यहीं पर हुआ , इसीलिए इस स्थान का नाम अंजनेश्वर और स्थानीय गांव का नाम आंजना प्रचलित हुआ ।एक अन्य लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के समय इस स्थान पर निवास किया था । तीन तरफ चट्टानों से गिरी गुफा और उसके सामने जल से भरा प्राकृतिक कुण्ड और पेड़ों की सघनता से यह स्थान सुरक्षित रहा है ,ऐसा स्वभाविक प्रमाण प्रचलितो लोक मान्यता को प्रमाणित करता है । चट्टान की पूर्व दिशा में मंदिर का प्रवेश द्वार है ,इसके बाहर एक कुंड है, जिसमें तीन तरफ मेवाड़ शैली में सीढ़ियां बनी हुई है ,उनके बगल में विभिन्न समाजों की धर्मशालाएं भी बनी हुई है और द्वार के अंदर प्रवेश करते ही चट्टान सामने नजर आती है , जिसकी आधी ऊंचाई पर मंदिर का मुख्य द्वार के अंदर जाने पर एक विशाल गुफा दिखाई पड़ती है । गुफा की गर्भ गृह में एक शिवलिंग स्थापित है जो तीन फीट उंचा है । यहां गुफा में पुजारी और साधुओं के निवास और भजन कीर्तन करने की सुविधा है ।
प्राचीन काल से यह स्थान लोगों की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है जो हमारी साझा विरासत की निशानी है।

आलेख प्रस्तुति
*बी एल सामरा नीलम*
संयोजक
*मेवाड़ गौरव केन्द्र*
प्रमुख मैनेजिंग ट्रस्टी और संस्थापक अध्यक्ष
*विरासत सेवा संस्थान अजमेर*

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