दिल्ली गैंगरेप: शीला दीक्षित ने उठाए पुलिस की नीयत पर सवाल

लापरवाही, संवेदनहीनता और जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतने के आरोपों से दो-चार दिल्ली पुलिस की शिकायत कर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केंद्र सरकार की मुसीबत बढ़ाते हुए उसे असहज भी कर दिया है। शीला दीक्षित ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस के तीन अफसरों ने सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती का बयान दर्ज करने वाली एसडीएम से न केवल बदसलूकी की, बल्कि उन्हें धमकाया भी और बयान की वीडियोग्राफी भी नहीं होने दी। शीला ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की है। गृह मंत्रालय सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। बाद में पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने आरोपों को निराधार बताया। वहीं दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने शीला के पत्र के लीक होने की जांच की मांग की। दूसरी तरफ मामले का खुलासा होने के कुछ घंटों के बाद ही धारा 164 के तहत पीड़िता से दोबारा बयान लिया गया है।

गैंगरेप की पीड़िता का बयान लेने वालीं एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी की अपने उच्च अधिकारियों और मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी पर यकीन करें तो बीते शुक्रवार को जब राजपथ पर आक्रोशित युवा सड़कों पर थे, तब सफदरजंग अस्पताल में आइसीयू के बाहर वह पुलिस अफसरों की बदसलूकी का शिकार हो रही थीं। घटनाक्रम के अनुसार दक्षिण दिल्ली जिला पुलिस की डीसीपी छाया शर्मा ने चतुर्वेदी से संपर्क कर उन्हें अपने कार्यालय आने को कहा। चतुर्वेदी ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। वह सीधे अस्पताल पहुंच गई। उनके वहां पहुंचने से पहले ही डीसीपी शर्मा अपने दो एसीपी और भारी पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंच चुकी थीं। एसडीएम चतुर्वेदी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने पहले से तैयार एक प्रश्नावली उन्हें दी और कहा कि चूंकि पीड़िता की हालत नाजुक है, लिहाजा उससे ज्यादा पूछताछ करने से बेहतर है कि इन्हीं सवालों के आधार पर उसका बयान दर्ज कर लिया जाए। एसडीएम के अनुसार उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि पुलिस के दबाव में ही पीड़िता की मां ने वीडियोग्राफी कराने से इन्कार किया।

वह घंटों की हील-हुज्जत के बाद अकेले में पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए आइसीयू में दाखिल हो सकीं। पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि पुलिस के सवालों की सूची और हकीकत में भारी अंतर था। उन्होंने यह भी लिखा है कि पुलिस अफसर अपनी मौजूदगी में बयान दर्ज कराना चाहते थे। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इसी चिट्ठी के आधार पर गृह मंत्रालय से मामले की जांच करने की मांग की है।

गृह मंत्रालय को लिखे गए पत्र पर दिल्ली पुलिस के आयुक्त नीरज कुमार ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में उनसे एक बार भी पूछा नहीं गया और पत्र को मीडिया में लीक कर दिया गया। यह गलत है। सफदरजंग अस्पताल में एसडीएम पीड़ित के बयान की वीडियोग्राफी कराना चाहती थीं लेकिन लड़की की मां ने इसका विरोध किया। डॉक्टरों ने भी कहा कि संक्रमण के लिहाज से वह अधिक लोगों को आइसीयू में प्रवेश की इजाजत नहीं दे सकते।

पुरानी तकरार की ओर इशारा

दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि विवेक विहार की एसडीएम ऊषा चतुर्वेदी के साथ इस साल पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दो मामलों को लेकर कुछ तकरार हुई थी।

वैसे भी एसडीएम को सिर्फ बयान दर्ज करना था न कि पूरे मामले की जांच। हालांकि जब एसडीएम ने दिल्ली पुलिस से मामले के बारे में जानकारी चाही तो उन्हें वसंत विहार थाने ले जाकर पूरे मामले से अवगत कराया गया था।

दुष्कर्म पर सख्त कानून निर्माण में जनता भी होगी भागीदार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप के बाद बने हालात से सहमी कांग्रेस और साथ ही केंद्रीय सत्ता ने जनाक्रोश को शांत करने के लिए दुष्कर्म के खिलाफ सख्त कानून बनाने में छात्रों और सिविल सोसाइटी को भी भागीदार बनाना तय किया है। यह रवैया लोकपाल मामले से उलट है। तब अन्ना और उनके साथियों को यह हिदायत दी जा रही थी कि कानून बनाना सरकार और संसद का काम है। गैंगरेप के बाद उत्पन्न हालात से असंतुष्ट सोनिया गांधी ने कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में पूरे घटनाक्रम से ज्यादा प्रभावी तरीके से निपटने की जरूरत बताकर अपनी नाराजगी जताई है। इसके चलते सरकार ने पुलिस को ज्यादा संवेदनशीलता के साथ इस तरह के मसलों से निपटने की ताकीद की है, साथ ही जनता को भी हिंसा से दूर रहने की सलाह दी है।

कोर ग्रुप की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ‘हमने हालात की समीक्षा की। पुलिस से कहा गया है कि इस मसले से ज्यादा संवेदनशीलता के साथ निपटे, लेकिन हिंसा का कोई स्थान नहीं है। हम छात्रों को सुनने के लिए तैयार हैं। वे अपने विचार जस्टिस वर्मा समिति को सौंप सकते हैं, जिसे समय से अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।’ प्रधानमंत्री आवास सात रेसकोर्स में लगभग पौने दो घंटे चली कोर ग्रुप की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अहमद पटेल, एके एंटनी, पी. चिदंबरम के अलावा गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कमलनाथ भी मौजूद थे।

बैठक में पहले शिंदे ने पूरे हालात की जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने शिंदे से कहा कि इस मामले से ज्यादा प्रभावशाली तरीके से निपटा जाना चाहिए था। गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार के आमने-सामने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इसके लिए शिंदे के साथ-साथ शीला दीक्षित से भी कांग्रेस आलाकमान की बातचीत हुई है। दुष्कर्म आरोपियों के खिलाफ सख्त कानून की मांग कर रही जनता को सीधे जस्टिस वर्मा समिति में विचार देने को कहकर उन्हें भी इस प्रक्रिया से जोड़ा गया है।

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