इसी प्रकार शनि की साढ़ेसाती भी उसी अवस्था में परेशान करती है जब जन्म-पत्रिका में शनि की प्रतिकूल स्थिति हो। राजा नल, सत्यवादी राजा हरिशचन्द्र, महाराजा विक्रमादित्य जैसे पराक्रमी भी शनि की साढ़ेसाती के फेर से नहीं बच सके तो आम आदमी कैसे बच सकता है?
जन्म-पत्रिका में शनि की अशुभ स्थिति से साढ़ेसाती अशुभ फलदायी रहती है। यदि शनि उच्च राशि तुला में हो या मकर अथवा कुंभ में हो तो हानिप्रद नहीं होता।
शनि नीच राशि मेष में हो या सूर्य की राशि सिंह में हो व लोहे के पाद से हो तो फिर स्वयं भगवान ही क्यों न हो, फल भोगना ही पड़ता है। जब शनि अष्टम में नीच का हो या षष्ट भाव अथवा द्वादश में हो तो अशुभ फल देखने को मिलते हैं।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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