दूसरों के बहकावे में आकर लिया गया निर्णय घातक सिद्ध हो सकता है

*भारत में कहावत है जिसका अर्थ है दूसरों के भरोसे काम करोगे तो पछताना पड़ेगा।*
*चाहे एक व्यक्ति से ,घर देश या विश्व से यह बात सभी जगहों पर लागू होती है*।
*यूक्रेन और रूस के युद्ध पर दुनिया भर में हलचल मच गई है। घनिष्ठ मित्र आपस में ही दुश्मन बन गए*।
*सन् 1991 से पहले रूस और यूक्रेन दोनों ही सोवियत संघ का अंग होते थे। 91 में सोवियत संघ का विघटन होने के बाद भी दोनों की दोस्ती बनी रही। यूक्रेन कृषि प्रधान देश था। रूस परमाणु शक्ति संपन्न देश था। बुडापेस्ट समझौते में हुए रूस ने यूक्रेन की रक्षा वादा किया था। दोनों के बीच आपसी व्यापार भी भारी मात्रा में था। दोस्ती के ये संबंध 2014 तक बनें रहें। सन् 2013 में यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति थे ।*
*उस समय तक रूस और यूक्रेन का घनिष्ठ दोस्ताना संबध था । यूक्रेन को नाटो देशों में शामिल होने का प्रस्ताव आया लेकिन राष्ट्रपति यानुकोविच ने वह प्रस्ताव ठुकरा दिया। ( नाटो अनेक देशों का एक समूह है जिनके सदस्य देशों पर संकट की स्थिति में नाटो में शामिल सभी देश सेन्य मदद करते हैं)*।
*बाद में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बने ।जेलेंस्की का राजनीति नया नया ही प्रवेश हुआ था। रूस विरोधी देशों के बहकावे में आकर जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने का निर्णय लिया। नाटो में शामिल होने के बाद रूस के विरोधी देशों की सेनाओ को रूस के नजदीक यूक्रेन तक तैनात होने का रास्ता साफ हो जाता जो रूस कभी मंजूर नहीं करता*।

*यूक्रेन को यूरोपियन यूनियन ने 27 देशों के साथ का भरोसा दिलाया, ब्रिटेन ने नाटो का सदस्य बनने के लिए समर्थन व सेन्य मदद का वादा किया,फ्रांस , जर्मनी, अमरीका ने भी मदद की बात कही*।
*इन सब के साथ के भरोसे पर यूक्रेन ने पुराने मित्र रूस की नाराज़गी को दरकिनार कर दिया*।
*नतीजतन रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। यूक्रेन पर रूस के लगातार हमले को 10 दिन होने को है । यूक्रेन बुरी तरह तबाह हो रहा है। लेकिन यूक्रेन का साथ देने की बात कहने वाले देश बयान बहादुर बने हुए हैं। रूस को युद्ध विराम के लिए मनाने में सफल नहीं हो सके।*
*यूक्रेन को बयान बहादुरो तथा अन्यों के उकसावे में आने की बजाय तथा देश को तबाह होने से रोकने के लिए क़दम बढ़ाए की आवश्यकता है।*
*देर सवेर यूक्रेन के राष्ट्रपति को देश छोड़कर भाग जाएंगे लेकिन जिन लोगों के परिजन युद्ध में मारे गए उनके पास केवल आंसू ही रह जाएंगे*।
*दूसरों के उकसाने में आकर कोई कदम उठाने का परिणाम यूक्रेन को ही नहीं दुनिया के हर शख्स को भुगतना पड़ता है।*

हीरालाल नाहर पत्रकार
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