समय पर एससी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दें सरकार-देवनानी

-देवनानी ने विधानसभा में कटौती प्रस्ताव के जरिए अनूसूचित जाति के कल्याण से जुडे उठाए मुद्धें।
-एससी छात्रावासों की सुचारू व्यवस्था के साथ अनुदानप्राप्त संगठनों की सतत मोनिटिंªग भी करने की मांग।

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर/जयपुर, 11 मार्च।
भाजपा नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में कटौती प्रस्ताव के जरिए अनुसूचित जाति के कल्याण से जुडे. अनेक मुद्धों पर सरकार को घेरा। ‘मांग संख्या 51-अनूसूचित जाति के कल्याण हेतु विशिष्ट संगठक योजना’ पर लगाए गए कटौती प्रस्ताव की जानकारी देते हुए देवनानी ने कहा कि अनुसूचित जाति के कल्याण हेतु राज्य सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जो उसका दूर दूर तक नहीं है। प्रदेश में एससी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियों का भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है। संबंधित विद्यार्थियों को 0त 2 वर्षों से छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है। वर्ष 2020-21 की अब देनी शुरू की है। राज्य की ओर से केन्द्र का यूसी तक नहीं भेजी गई, दो सौ करोड देना बाकी है। बार-बार अवगत कराए जाने के बाद भी ‘परिणाम ढाक के तीन पात’ ही रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह समय पर एससी के विद्यार्थियों को छात्रवृति प्रदान करें ताकि विद्यार्थियों को राहत मिल सकें।
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में अनूसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए संचालित छात्रावासों की हालत खस्ता है। वहां मूलभूत सुविधाओं से भी विद्यार्थियों को बंचित रहना पड रहा है। अव्यवस्थाओं का आलम छात्रावासों में जोरों पर है। सरकार को अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के छात्रावासों में सुचारू व्यवस्थाएं किए जाने की तरफ विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अनूसूचित जाति के निर्धन एवं बीपीएल चयनित परिवारों को सरकारी आवास योजना में आवास निर्माण हेतु भूखण्ड देने एवं उस पर निर्माण के लिए सस्ती दर पर धनराशि उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है। प्रदेश में स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित विद्यालयों में अनुसूचित जाति के बच्चों की न्यूनतम संख्या 50 सुनिश्चित कराने के साथ इससे कम बच्चों को प्रवेश देने की स्थिति में आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए। सरकार को अनूसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा देने के बदले सरकार से अनुदान प्राप्त स्वैच्छिक संगठनों की समय-समय पर आॅडिट एवं सतत माॅनिर्टिंग कराना चाहिए ताकि समय रहते इसको लेकर हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।

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