पहेली भी हो , सहज भी हो
अरूप भी हो अनंत रूप भी हो
सब में भी हो असीम भी हो
अद्वैत भी हो अद्वित्य भी हो
छुपे भी हो सर्वव्यापक भी हो
जीवन भी हो मृत्यु भी हो
देव भी हो असुर भी हो
कैसे शब्दो में डालूं तुम्हें -२
अवर्णनीय हो अवर्णनीय हो।।
प्रदीप देवानी