कांग्रेस का हाथ परीक्षा पत्र लीक करने वालों के साथ – विनय मिश्रा

आज परीक्षाओं में हो रही धांधली, कांग्रेसी नेताओं की मिलीभगत और पेपर लीक मामले में प्रेस वार्ता आयोजित की गई।
इस मामले में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार बिल्कुल ही फेल साबित हुई है। गहलोत सरकार जब से सत्ता में आई है तब से 6 परीक्षा तो ऐसी हुई है जिनके परिणाम ही संशोधित किए गए हैं तथा लगभग इतनी ही परीक्षाओं के पेपर लीक के मामले संज्ञान में आए हैं, जैसे
लाइब्रेरियन परीक्षा जनवरी 2020,
J.En. Exam नवम्बर 2020,
रीट सितम्बर 2021,
सहायक निरीक्षक सितम्बर 2021,
पटवारी अक्टूबर 2021,
तथा रीट लेवल 2 फरवरी 2022
तथा ऐसे अनगिनत मामले जो प्रकाश में आने ही नहीं दिए गए, तथा कई परीक्षाओं रद्द करवाने की मांग उठाई गई ऐसे में ये स्पष्ट रूप से समझ आता है कि कांग्रेस का हाथ पर्चे लीक करने वालों के साथ है। अखबारों की खबरों के अनुसार रीट व सब इन्सपेक्टर भर्ती में तो खुले आम पैसे की मांग की गई जिसकी दरें समाचार पत्रों में पूर्व में प्रकाशित हुई जिसको लेकर भी कोई जांच निष्पक्ष रूप से नहीं करवाई गई।

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सांसद तक सीधे तार जुड़ने के बाद सांसद ने तो इस घटनाक्रम से फिलहाल खुद को अलग कर लिया है। हांलाकि एसीबी सांसद की भूमिका की भी गंभीरता से जांच कर रही है।
इससे पूर्व की भाजपा सरकारों के भी मामले संज्ञान में है जैसे राजस्थान में टैक्स असिस्टेंट भर्ती घोटाला सामने आया है। विभाग ने गुपचुप तरीके से नियम बदल 304 फेल अभ्यर्थियों को कर साहयक के पोस्ट पर भर्ती कर लिया। वर्ष 2011 में वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा 443 पदों पर कर सहायक की रिक्तियां निकाली थीं। जब इन पदों के लिए परीक्षा हुई तो केवल 139 अभ्यर्थी ही पास हुए। इसके बाद वाणिज्यित विभाग ने आरपीएससी के जवाब का इंतजार किए बिना ही नियम बदल डाले और फेल किए गए 304 अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी। इसका खुला आरटीआई में हुआ।
27000 युवा पंचायत सहायक जो कि अस्थाई तौर पर लगाए गए थे तथा उनसे गहलोत सरकार ने स्थाई करने का वादा किया था वो अभी तक सरकार की ओर इन्तजार की मुद्रा में देख रहें है।
वहीं अब राजस्थान में एमएचएम का नया कारनामा सामने आया है. दरअसल, बिना राज्य सरकार की इजाजत और जानकारी दिए ही एनएचएम के महाप्रबंधक समित शर्मा ने 2500 कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर की भर्ती निकाल दी। इन पदों के लिए 30 हजार आवेदन आए थे और इसके लिए आज ही ऑनलाइन परीक्षा भी होनी थी।
इसके अलावा परीक्षा आयोजित करने के तरीके में भी युवाओं को हर तरह से परेशान किया जा रहा है जैसे परीक्षार्थीयों को दुरी का परीक्षण किए बिना 200 से 300 किलोमीटर दुर परीक्षा देने भेजा जाता है जिसमें समय की असुविधा और परेशानीयों को परीक्षार्थी व परिवार दोनों को ही उसका सामना करना पडता है। उसके लिए ड्रेस कोड अलग से लगाया जाता है, नए शहर में जाने पर सेन्टर ढूंढने में भी परेशानी का सामना करना पडता है क्योंकि गहलोत सरकार के इन्टरनेट बैन करने के कारण संचार के साधनों का उपयोग भी परीक्षार्थी नहीं कर पाता, वो गूगल मैप से भी अपना परीक्षा सेन्टर नहीं खोज सकता। इन सब समस्याओं से जूझने के बाद जैसै तैसे परीक्षा हाल से निकलकर अपने घर पहुंचने पर उसको पता चलता है कि पर्चा लीक हो गया तो उस पीडा का अनुमान आप सभी लगा सकते हैं।
इन सब मामलों में जितने लोग और नेता गिरफ्तार हुए हैं उसमें कांग्रेस के नेता व उनके चमचे ही है इसलिए इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार की भागीदारी इसमें नहीं रही।
राजस्थान में युवाओं के भविष्य के साथ जिस तरह का खिलवाड अशोक गहलोत सरकार कर रही है वो बिल्कुल गलत है और आम आदमी पार्टी इसी निन्दा करती है। तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार चलाने योग्य नहीं है अतः उन्हें स्तीफा दे देना चाहिए।

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