सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ ‘कॉन्फ्रेंस ऑन एडेप्टिंग टू क्लाइमेट चेंज इन आर्कटिक’ का आयोजन

सेंट पीटर्सबर्ग में सात-आठ जुलाई को ‘कॉन्फ्रेंस ऑन एडेप्टिंग टू क्लाइमेट चेंज इन द आर्कटिक’ का आयोजन किया गया. 2021-23 के दौरान आर्कटिक काउंसिल की रूस की चेयरमैनशिप में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रमों के प्लान के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इन कार्यक्रमों का संचालन रॉसकांग्रेस फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है.
रूस के प्राकृतिक संसाधन और इकोलॉजी मामलों के उप मंत्री सर्गेई एनोप्रीन्को ने रूस के वैज्ञानिक द्वारा जुटाए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि रूस में वॉर्मिंग की दर ग्लोबल एवरेज से 2.5 गुनी ज्यादा है. वहीं, आर्कटिक में यह चार गुनी से ज्यादा है. तापमान बढ़ने के बाद समुद्री बर्फ निश्चित तौर पर पिघलता है. 1996 से 2005 के बीच समुद्री आइस कवर में तीन गुना से ज्यादा की कमी देखने को मिली है. उप मंत्री ने जलवायु से जुड़ी परिस्थितियों का रशियन नॉर्थ में रहने वाले लोगों पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में ये बात कही. पर्माफ्रॉस्ट में गिरावट और तापमान में वृद्धि की वजह से भवनों और अन्य इमारतों की स्थिति की निगरानी की व्यवस्था में सुधार, बहुत अधिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में कमी लाना और आग की बढ़ती आशंका को देखते हुए तैयारी जरूरी हो गया है.
एनोप्रीन्को ने कहा, “हम रातोंरात जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) को नहीं रोक सकते हैं. हम जलवायु के असली हालात को लेकर उपलब्ध सभी तरह की जानकारी और डेटा को बहुत सावधानीपूर्वक इकट्ठा कर रहे हैं और इस आधार पर हम भविष्य को लेकर अनुमान लगा रहे हैं. इस डेटा के आधार पर एडेप्शन से जुड़े कदम उठाए जा सकते हैं. संघीय, क्षेत्रीय और म्युनिसिपल के स्तर पर साथ मिलकर हमारे द्वारा किए जाने वाले काम से हमें सफलता मिल सकती है.”
रूस के विदेश मंत्रालय के अम्बैस्डर-एट-लार्ज और आर्कटिक काउंसिल के सीनियर आर्कटिक ऑफिशियल्स के चेयरमैन निकोलय कोरचुनोव ने कहा कि जलवायु का मुद्दा 2021 से 2030 के आर्कटिक काउंसिल स्ट्रेटेजिक प्लान में प्रमुखता से शामिल है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आर्कटिक का पर्यावरण ना सिर्फ आर्कटिक देशों बल्कि दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों की वजह से क्षेत्र में होने वाले जलवायु परिवर्तन को लेकर भी काफी संवेदनशील है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आर्कटिक काउंसिल के मौजूदा चेयरमैन के रूप में रूस पर्यावरण के संरक्षण वाले प्रोजेक्ट्स और मूल निवासियों के इलाके में काम करने वाले बिजनेसेज की संभावनाओं के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के जरिए आर्कटिक के मूल निवासियों के जीवन के परंपरागत तरीकों से संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है.
कोरचुनोव ने कहा, “आर्कटिक में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे मौजूदा आर्कटिक काउंसिल के एजेंडा से गायब नहीं हुए हैं. हालिया डेवलपमेंट्स के बावजूद हम क्षेत्र में पर्यावरण सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हमारी ओर से काउंसिल के पार्टनर्स के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही साथ हम क्षेत्र के बाहर के वैज्ञानिकों एवं एक्सपर्ट्स के साथ सहयोग के आधार पर काम करना चाहते हैं क्योंकि आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन एक तरह से पूरी दुनिया की समस्या है और इसका असर भी पूरी दुनिया पर पड़ता है.”
रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र के विकास से संबंधित मंत्रालय के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपेंट डिपार्टमेंट के डायरेक्टर सोसलन अबिसालोव ने इस बात को रेखांकित किया कि जलवायु का एजेंडा आर्कटिक के लिए कितना अहम है. उन्होंने बताया कि रूस का आर्थिक विकास और इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स किस प्रकार आर्कटिक में जलवायु से जुड़े परिदृश्यों पर निर्भर हैं. रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक मामलों के मंत्रालय ने आर्कटिक में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए इंजीनियरिंग एवं टेक्निकल सॉल्यूशन्स को लागू करने को लेकर एक रोडमैप तैयार करने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया.
उन्होंने कहा, “क्रायोलिथिक जोन की इमारतों और स्ट्रक्चरों की नीवों के 40 फीसदी हिस्से विकृत हो चुके हैं. नए टेक्निकल सॉल्यूशन्स को पेश करना बहुत अहम है क्योंकि वह जलवायु परिवर्तन की स्थिति में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को जारी रखने में मददगार साबित होगा.”
प्रकृति को मानव-निर्मित दबाव से बचाना आर्कटिक क्षेत्र की एक और बड़ी चुनौती है. अबिसालोव के मुताबिक, स्वच्छ आर्कटिक परियोजना की शुरुआत 2021 में हुई थी. इस प्रोजेक्ट के तहत स्वयंसेवकों ने 1,500 टन से ज्यादा का कचरा इकट्ठा कया था. 2022 में करीब 3,000 स्वंयसेवकों ने पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए अप्लाई किया है. 16-18 अगस्त के बीच उसिन्स्क (कोमी गणराज्य) में ‘द आर्कटिक. ब्रेकिंग द आइस’ नाम से स्वयंसेवकों के लिए अहम फोरम-फेस्टिवल का आयोजन होगा. अबिसलोव ने बताया कि इस फेस्टिवल का आयोजन आर्कटिक काउंसिल की रूस की चेयरमैनशिप के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के तहत किया जाएगा.
चीन के पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण मंत्रालय में जलवायु परिवर्तन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जियांग झाओली ने कहा कि बीजिंग जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने वाले किसी भी देश के साथ मिलकर काम करने को इच्छुक है.
उन्होंने कहा, “मजूबत सहयोग और साथ मिलकर काम करने से हमें आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से मुकाबला करने में मदद मिलेगी और हमें इन बदलवों को स्वीकार करने में मदद मिलेगी.”
वक्ता के मुताबिक, इस क्षेत्र से जुड़े दस्तावेजों पर पहले ही 38 राज्य हस्ताक्षर कर चुके हैं.
रशियन एकेडमी ऑफ साइंस के इंस्टीच्युट ऑफ इकोनॉमिक फॉरकास्टिंग के साइंटिफिक डायरेक्टर बोरिस पोरफिरिइव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए रूस के आर्कटिक सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपनाने में हर साल 500 अरब रूबेल के निवेश की जरूरत होगी.
उन्होंने कहा, “केवल सोशल सेक्टर के लिए हम सालाना 50 अरब रूबल की बात कर रहे हैं. इनमें रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर, हाउसिंग और हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल है लेकिन रियल इकोनॉमी को इसमें नहीं जोड़ा गया है. इस दिशा में लंबे समय तक चलने वाले प्रयासों को देखते हुए हम लाखों करोड़ रूबल की बात कर रहे हैं.”
उनके मुताबिक रूस ने 17 आर्कटिक क्लाइमेट चेंज एडेप्टेशन प्लान तैयार किया है. इनमें 10 सेक्टोरल और सात क्षेत्रीय प्लान शामिल हैं. कॉन्फ्रेंस ऑन एडेप्टिंग टू क्लाइमेट चेंज इन द आर्कटिक नामक कार्यक्रम में छह सत्रों में बातचीत हुई. इस कार्यक्रम में प्रमुख विशेषज्ञों और संबंधित संगठनों और एजेंसियों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया. इन कार्यक्रमों में शिरकत करने वालों ने इकोनॉमी के प्रमुख क्षेत्रों को जलवायु से जुड़ी नई परिस्थितियों के अनुकूल बनाने पर चर्चा की और इस क्षेत्र में रूस के इलाकों के अनुभव के साथ जलवायु परिवर्तन को एडेप्ट करने के वैज्ञानिक आधार पर चर्चा की. रूस के मिनिस्ट्री ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी की ओर से इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.
जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा 2021-23 के दौरान आर्कटिक काउंसिल की रूस की चेयरमैनशिप के दौरान की प्राथमिकताओं में शामिल है.
पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन और गैस हाइड्रेट के उत्सर्जन की तरह आर्कटिक में तीव्रता से जलवायु परिवर्तन को देखते हुए रूस जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के प्रयासों के तहत प्राथमिक महत्व वाले इन कार्यों पर विचार करता हैः इसके प्रभावों को लेकर अनुकूलन और लचीलता में इजाफा करना, पर्यावरण संरक्षण और उसे रिस्टोर करना, टिकाऊ तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल, समुद्री पर्यावरण सहित आर्कटिक इकोसिस्टम की सेहत को बनाए रखना, जैव विविधता का संरक्षण और खासकर प्रवासी पक्षियों की प्रजाति का संरक्षण.

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