केकड़ी 1 सितंबर(पवन राठी)
जो जीव- रूप, ज्ञान, बल एवं धन आदि का जरा सा भी घमंड नहीं करता है वह मार्दव धर्म कहलाता है।
मान एक महा विष रूप है जो नीच गति में ले जाता है । संसार में मान के बराबर अनर्थ का मोल नहीं है। अहंकार के कारण ही रावण नाश को प्राप्त हुआ और कौरवों के भी विनाश का कारण बना।
पर्वराज पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव को ग्रहण करने की प्रेरणा देता है ।बोहरा कॉलोनी स्थित श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रातः जिन अभिषेक, शांतिधारा ,नित्य पूजन के कार्यक्रम के पश्चात सैकड़ों धर्मावलंबियों द्वारा उत्साह पूर्वक तीस चौबीसी विधान का आयोजन किया गया। सायंकाल मे आरती, प्रवचन एवं प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम आयोजित किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत संचालिका चंद्रकला जैन ने बताया कि जोड़ी बनाओ प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें शांतिनाथ बहुमंडल की महिलाओं ने राजुल- नेमी तथा नाभीराय- मरुदेवी की जोड़ियां बनाकर प्रतियोगिता आयोजित की गई ,जिसमें प्रथम स्थान पर जोड़ी, प्रमिला जैन व इंदिरा जैन द्वितीय स्थान मेनका जैन व नीलू जैन तथा तृतीय स्थान नीतू सिंघल व अंजलि जैन ने प्राप्त किया । विजेता प्रतियोगिताओं को पारितोषिक से सम्मानित किया गया । कार्यक्रम का संचालन विद्या जैन ने किया । घंटाघर स्थित श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विधानाचार्य अंकित शास्त्री एवं दीपा दीदी व रेशु दीदी के निर्देशन में श्री त्रैलोक्य महामंडल विधान का आयोजन किया गया । शाम को आरती, झांकी ,संगीत, शास्त्र सभा एवं प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम आयोजित हुआ । तत्पश्चात अहिंसा यात्रा संघ के तत्वाधान में खुल जा सिम सिम कार्यक्रम संपन्न हुआ ।